फर्रुखाबाद:(दीपक शुक्ला) जिस समय लोहिया अस्पताल का उद्घाटन किया उस समय भी सूबे में सपा का ही शासन था| मुलायम सिंह यादव सूबे के मुख्यमंत्री थे| 23 मार्च 1995 को उन्होंने ही राम मनोहर लोहिया अस्पताल को जनपद वासियों के हबाले किया था| वर्षो बीत गये सरकारे बदली लेकिन दिन पर दिन करोड़ो की लागत से बने लोहिया अस्पताल की दशा खराब होती गयी| वर्तमान में आने वाले कई मरीज चिकित्सको के आभाव में अपना दम अस्पताल में ही तोड़ देते है तो कुछ रिफर होने के बाद रास्ते में अंतिम साँस लेते है| इसमे जादा तर सामान्य वर्ग और गरीब वर्ग के लोगो को मौत होने की संख्या अधिक है|
वर्तमान में भी समाजवादी पार्टी की सरकार है| प्रदेश सरकार विकास कार्यो के बड़े-बड़े वादे कर रही है| लोक लुहावन योजनाओ के द्वारा जनता के दिल पर हुकूमत करने का पूरा प्रयास कर रही है| लेकिन यह विडम्बना है की उस दिल की बीमारी का इलाज जिले में सरकार उपलब्ध नही करा पा रही| मौजूदा हालत चिकित्सको के आभाव से बद से बत्तर है| वर्तमान में लोहिया अस्पताल में शल्य चिकित्सा विभाग में तीन चिकित्सको की जगह है जिसमे केबल डॉ० जीपी सचान की तैनाती है| मेडिसन विभाग में दो की जगह एक डॉ० अशोक कुमार, अस्थि रोग विभाग में दो की जगह एक डॉ० वीके दुबे, बाल रोग विभाग में डॉ० एसपी सिंह और डॉ० राजेश तिवारी, नाक, कान गला विभाग में दो का स्थान रिक्त है और एक भी चिकित्सक तैनात नही है| दंत विभाग में डॉ श्रेय खंडूजा, नेत्र विभाग में तीन चिकित्सको की जगह रिक्त है और दो चिकित्सक डॉ० ब्रजेश सिंह और डॉ० संजय कुमार की तैनाती है|
वही पैथोलाजी विभाग में कोई चिकित्सक नही है| अल्ट्रासाउंड विभाग भी खाली है| रेडियोलाजी विभाग में डॉ० योगेन्द्र सिंह, एनेस्थीसिया विभाग में डॉ० बीबी पुष्कर और डॉ० प्रदीप सिंह, सबसे गम्भीर बीमारी ह्रदय रोग,गुप्त एवं यौन रोग, टीबी एवं बेस्ट रोग,रक्त बैंक, फिजियोथेरेपी विभाग में में कोई चिकित्सक तैनात नही है| जिससे ह्रदय रोग जैसी गम्भीर बीमारी का इलाज ना करा पाने के कारण अधिकांश लोग मौत में मुंह में चले जाते है| कुष्ठ रोग विभाग में डॉ० पंकज शुक्ला, दिमाग से सम्बन्धित( न्यूरोलॉजी विभाग) , सर्जन विभाग में भी चिकित्सक तैंनात नही है| कुल मिलाकर लोहिया अस्पताल में चिकित्सको के 29 पदों के सापेक्ष केबल 11 चिकित्सक की तैनात है|
चिकित्सको के आभाव में निजी अस्पतालों की पौ-बारह
लोहिया अस्पताल में चिकित्सको की संख्या किसी से भी छुपी नही| आपात कालीन वार्ड में भी तीन के सापेक्ष केबल एक ही ईएमओ डॉ० राज किशोर तैनात है| जिसके चलते दूर दराज से आने वाले गम्भीर मरीज अस्पताल में चिकित्सको के आभाव में अन्य किसी जगह रिफर हो जाते है| जिसके चलते लोहिया अस्पताल में निजी चिकित्सको के दलाल मरीजो को बहला-फुसला उन्हें अपने अस्पतालमें भर्ती करा देते है| और बाद में उनसे मोटी रकम ली जाती है| वही जो बाहर जाने के लिये तैयार नही होता तो फिर वह भगवान के भरोसे आस्पताल में रहता है| हालत यह है की मरीज भर्ती कम और रिफर जादा किये जाते है| असपताल चिकित्सको की कमी का रोना रोकर अपना किनारा कर लेता है|
अखिलेश सरकार को भी बने धीरे-धीरे पांच साले होने को है लेकिन जिले में विकास कितना हुआ यह अस्पताल की दशा देखकर पता चलता है| चिकित्सको के आभाव में मरीज वार्डो में किसी चमत्कार के इंतजार में पड़े रहते है|
लोहिया अस्पताल के सीएमएस डॉ बीबी पुष्कर ने बताया की इस सम्बन्ध में शासन को प्रति महीने रिपोर्ट भेजी जाती है| चिकित्सको की कमी के लिये शासन को कई बार लिखा जा चुका है| यह कमी पूरे प्रदेश में ही है| कही कम है और कही जादा | फ़िलहाल प्रयास चल रहे है| मरीजो को जो सुबिधा है उसे देने का पूरा प्रयास किया जाता है|