फर्रुखाबाद:किसी को अपनी दूकान बनाने के लिये लाखो रुपये की जरूरत है तो कोई लाखो रुपये लगाकर अपना अस्पताल खोल कर बैठा है| कोई चिकित्सक की डिग्री लेने के लिये लाखो रुपये रिश्वत की दे रहा और कोई बिना पैसे के ही डिग्री हासिल करने के लिये अपनी आधी जिंदगी गुजार चुका| आँखों पर चश्मा लग गया लेकिन अभी उन्हें वह सब हासिल नही हो पाया जो वह हासिल करना चाह रहे| चिकित्सक के कमरे के बाहर इतनी लम्बी लाइन की यदि जादा गम्भीर मरीज साहब को दिखाना हो तो देखने की फ़ीस दो गुनी लगेगी | फिर चाहे मरीज के पास पैसे हो या ना हो उन्हें तो फ़ीस से मतलब| लेकिन इन सब आदतों से काफी दूर हड्डी रोग विशेषज्ञ 62 वर्षीय फराज| किसी से लेना एक ना देना दो| उन्हें तो अपने पास आने वाले हड्डी के मरीजो को दुरुस्त करके भेजने से मतलब है| और वो भी बिल्कुल मुफ्त देशी दवाओ के साथ|
राजेपुर के ग्राम कड़क्का निवासी फराज का कहना है की जब वह तीन साल के थे तभी उन्हें चेचक की बीमारी हो गयी थी| जिसने उनकी आँखों की रोशनी ही चली गयी| उनकी जिन्दगी में अँधेरा छा गया| समय के साथ साथ फराज जब 15 वर्ष के हुये तो उनके परिवार के लोगो ने उन्हें जानवर चराने के लिये भेजा| इन 15 वर्षो में फराज ने घर से लेकर बाहर का सभी काम सीख लिया| गाँव से तकरीबन 5 किलोमीटर दूर कुटला तालाब के निकट उनकी मुलाकात एक सन्यासी से हुई| जंहा उस संयासी ने उन्हें एक कला सिखाई| उन्होंने शरीर के किसी भी अंग की हड्डी टूटने के बाद उसे कैसे ठीक करेगे यह सिखाया| जिसके कुछ समय के बाद संयासी कि मौत हो गयी| लेकिन जो कला फराज को सिखाई गयी उस कला का प्रयोग उन्होंने लोगो पर करना शूरू किया|
पहले तो किसी ने इस भरोसा नही किया लेकिन जब लोगो को लाभ हुआ तो फराज के पास लोगो का आना जाना शुरू हो गया| 62 वर्षीय फराज का कहना है की अभी तक उन्होंने लगभग 5000 लोगो की हड्डी से सम्बन्धित समस्या को अपने नुस्खे से ठीक किया है| उन्हें आँखों से दिखाई नही पड़ता लेकिन आज भी फराज उस क्षेत्र में लोगो के लिये किसी मसीहा से कम नही|
राजेपुर से- शिवा दुबे