इलाहाबाद|| कोर्टो का बॉयकाट या ह़डताल करने वाले वकीलों की अब खैर नहीं है। ऎसे वकीलों पर अब वकालत करने पर रोक लगाई जा सकेगी। यहां तक कि उनके कोर्ट में प्रवेश तक को प्रतिबंधित किया जा सकेगा।
यह प्रावधान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अफने नियमों में किया है। वकीलों की आए दिन की ह़डताल और बहिष्कार की कार्रवाइयों से परेशान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वकीलों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।
हाईकोर्ट के नए नियमों के मुताबिक अगर वकील ह़डताल या बहिष्कार करते हैं, तो उन्हें कोर्ट के अंदर घुसने तक की इजाजत नही दी जाएगी। यही नहीं, उनकी वकालत पर पाबंदी लग सकती है।
इस आदेश के बाद उत्तर प्रदेश की अदालतों में काम करने वाले वकीलों में ह़डकंप मच गया है। दरअसल वकीलों के रवैए से इलाहाबाद हाईकोर्ट काफी नाराज है इसलिए उसने अपनी नियमावली 11 में फेरबदल कर वकीलों पर शिकंजा कस दिया है। नए नियमों के मुताबिक वकील अगर ह़डताल पर जाते हैं या किसी भी तरह का बॉयकाट करते हैं, तो इसे न्याय प्रक्रिया में बाधा माना जाएगा। ऎसे में चीफ जस्टिस और डिस्ट्रिक्ट जज वकीलों के कोर्ट में घुसने पर रोक लगा सकते हैं।
कोर्ट एक वकील या वकीलों का समूह या फिर बार एसोसिएशन अगर ह़डताल पर जाते हैं या कामकाज का बहिष्कार करते हैं, तो इसे भी न्याय प्रक्रिया में बाधा माना जाएगा। इस नए नियम से वकीलों में खलबली मच गई है।
नए नियम में यह भी कहा गया है कि जिन वकीलों के खिलाफ अदालत की अवमानना का केस जारी है, उनकी वकालत पर केस खत्म होने तक रोक लगाई जा सकती है। यह रोक भी तभी हटेगी जब खुद कोर्ट कहे कि अवमानना के केस से मुक्त होने वाले वकील को अब वकालत की इजाजत दी जाती है।