Wednesday, December 25, 2024
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मुद्दे की बात- समाजवादी पेंशन और लोहिया आवास डुबाएंगे वर्तमान प्रधानो की लुटिया

samajvadi-penshan-yojnaफर्रुखाबाद: विकास काम क्या हुआ क्या नहीं? बच्चो ने स्कूल में मिड डे मील खाया या नहीं? बच्चो को टीके लगे या नहीं? गाँव में झाड़ू लगी या नहीं? मनरेगा में काम मिला या नहीं? कोटेदार ने राशन दिया या नहीं? इन सवालो पर भले ही ग्रामीण गम खा जाए मगर दो ऐसे आइटम है इस बार के चुनाव के लिए जिसमे ग्रामीण गम नहीं खाने वाले| ये दो आइटम है लोहिया/इंदिरा आवास और समाजवादी पेंशन| जिसे प्रधान ने दिलाई उसमे भी ज्यादातर ने घूस खायी| और जिसे नहीं मिली वो तो मौका तलाशे बैठा ही है प्रधानी छीनने के लिए| कुल मिलकर 2.5 लाख के लोहिया आवास और 6000 रुपये सालाना नगद वाली समाजवादी पेंशन वर्तमान प्रधानो के दुबारा चुने जाने के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा होगी| अगर विपक्षी उम्मीदवारों ने इस मुद्दे को जमकर को भुनाया और प्रचारित किया तो वर्तमान प्रधानो को दुबारा बस्ता तो मिलने से ही रहा|

लोहिया आवासो के चयन की सूची में नाम आने से लेकर पैसा मिलने तक घूस दर घूस का खेल चला| तो फिर एहसान काहे बात का| ज्यादातर प्रधानो पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी योजनाये दिलवाने के नाम पर ग्रामीणो से घूस वसूली| कई जगह तो लोहिया आवास की रकम आधी आधी हुई| कुछ ने एडवांस दिया तो कुछ चयन कुछ ईमानदार अफसरों के कारण हो गया मगर आखिरी चेक मिलते मिलते घूस की रकम जरूर वसूल हुई|

यही हाल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की महत्वाकांक्षी योजना समाजवादी पेंशन का हुआ| हालाँकि इस योजना के चयन के समय मौजूद जिले के जिलाधिकारी एन के एस चौहान की सख्ती के चलते पांच बार सूची की जाँच हुई और 43000 चयन के सापेक्ष लगभग 27000 नाम ही अंतिम चयन सूची में रह पाये| मगर इन 27000 ग्रामीणो में से भी आधे से ज्यादा घूस के शिकार हुए| कुछ प्रधानो ने तो बाकायदा समाजवादी पेंशनरों की बैंक पास बुक अपने पास जमा की| एक हजार से दो हजार तक घूस वसूली| इस घूस वसूली में अमीर गरीब का पैमाना नहीं था| नजदीक से किये गए गहन अध्ययन में कई बार ऐसे लोगो को देखा जिन्होंने अपनी पैरो की पायल गिरवी रख कर प्रधान को घूस की रकम दी थी| शिकवा शिकायत का कोई मतलब नहीं था| बड़े साहब को ऊपरी कमाई इन्ही प्रधानो के जरिये होती है लिहाजा गरीब की लुगाई जग की भौजाई वाला हाल हुआ| मगर अब बदला लेने की बारी उसी भ्रष्टाचार से पीड़ित मतदाता की है| जरुरत सिर्फ जागरूक करने भर की है| विरोधियो ने अगर इस मुद्दे को भुनाया तो वर्तमान प्रधानो को जबाब देना मुश्किल पड़ जायेगा|

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