असंतुष्ट नेताओं के स्वर हो सकते हैं मुखर

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pm_meeting_vocal_tones_08_11_2015नई दिल्ली। एक साल पहले लोकसभा चुनाव में बिहार में तीन-चौथाई सीटों पर कब्जा करने के बाद विधानसभा चुनाव में एक चौथाई से कम पर सिमटने से भाजपा में असंतुष्ट नेताओं के स्वर मुखर हो सकते हैं। इससे संगठन और सरकार में बदलाव हो सकता है।

सोमवार को संसदीय दल की बैठक में इसकी बानगी देखने को मिल सकती है। आरएसएस और भाजपा में इस हार को लेकर मंथन शुरू हो गया है। इस सिलसिले में गृहमंत्री और पूर्व भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह की आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात को अहम माना जा रहा है।

लोकसभा और उसके बाद एक के बाद एक कई राज्यों में भाजपा की जीत से पार्टी के असंतुष्ट नेता चुप रहने को मजबूर थे। पार्टी की अंदरूनी बैठकों में शायद ही किसी वरिष्ठ नेता को नेतृत्व के फैसले पर सवाल उठाते हुए देखा गया हो। दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी की ऐतिहासिक हार पर सवाल उठाने की हिम्मत किसी ने नहीं की।लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो बिहार की हार को आसानी से भुलाना संभव नहीं होगा। असंतुष्ट नेता खुले तौर पर भले ही कुछ नहीं बोलें, लेकिन पार्टी के अंदरूनी फोरम पर उन्हें बोलने से रोकना मुश्किल होगा। वैसे, भाजपा नेता संगठन में तत्काल बदलाव की संभावना से इन्कार कर रहे हैं, लेकिन देर-सबेर इससे मना नहीं किया जा सकता है।

बिहार चुनाव के बाद सरकार में बदलाव की आशंका भी जताई जा रही है। फिलहाल 66 मंत्रियों वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल में बिहार से सात मंत्री हैं। इनमें कुछ मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। कुछ के पर कतरे भी जा सकते हैं। चुनाव के दौरान इन मंत्रियों के बीच अहम के टकराव को साफ-साफ देखा सकता था। साथ ही आरएसएस की ओर से मंत्रिमंडल में कुछ मंत्रियों का कद बढ़ाने और कुछ के पर कतरने के लिए दबाव बढ़ सकता है।