आधुनिक युग में कुछ लोग अश्रद्धालू बन गये: मानस मनोहर

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maanas 123फर्रुखाबाद:मानस विचार समिति के तत्वाधान में सत्ताइवा मानस सम्मेलन सूर्य पूजन के साथ प्रारम्भ हुआ। मुख्य अतिथि स्वामी ब्रहमानन्द त्रिदण्डी जी महाराज (जाजलपुर वाले) ने कहा कि मानस को पढ़ने से हमें चेतना मिलती है। मानस की रचना प्रतिकूल परिस्थितियों में की गयी प्रतिकूल स्थिति में ही विकास होता है।

आढ़तियान मोहल्ला मिर्ची लाल फाटक में 5 दिवसीय मानस सम्मेलन में प्रातः प्रमुख संरक्षक राधेश्याम गर्ग व आलोक गौड़ ने दर्जनो भक्तों के साथ सूर्य पूजन व मानस पूजन किया। पं0 रामेन्द्रनाथ मिश्र ने सभी पूजन कराये। ग्वालियर से पधारे मानस विद्वान 80 वर्षीय डा0 मानस मनोहर दुबे ने लक्ष्मण गीता प्रसंग की व्याख्या करते हुए कहा कि लक्ष्मण जी का चरित्र काफी क्रोधी व कठोर है जबकि श्रीराम का चरित्र सौम्य, शालीन एवं मिलनसार है। क्रोधी स्वभाव के कारण ही लक्ष्मण जी जनकपुरी में श्री राम से ‘‘नाथ शम्भु धनु भंजन हारा‘‘ सीधे धनुष को भंग करने का आवाहन करते है। उन्होने कहा कि आधुनिक युग में कुछ लोग अश्रद्धालू बन गये है। उन्हे श्रीराम की भक्ति में लाने की आवश्यकता है।

मानस सम्मेलन के संयोजक डा0 रामबाबू पाठक ने ‘‘धन्य जनम जगतीतल तासू प्रसंग पर बोलते हुए कहा कि वह पुत्र धन्य है जिसके अच्छे कार्यो से पिता धन्य है। राजा दशरथ भी श्रीराम के चरित्र को सुनकर धन्य हुए। जनकपुरी में प्रभु श्री राम द्वारा धनुष भंग के बाद श्री राम का सीता जी से विवाह निश्चित होता है। जनक जी राजा दशरथ को श्री राम की बारात को लेकर आने के लिए आमंत्रित करते हुए अपने दूत से पत्रिका लेकर भेजते है। श्री राम का समाचार सुनकर राजा दशरथ जनक जी के दूत से सिंहासन से उठकर स्वयं पत्रिका लेकर वाचने लगते है। पत्रिका में श्री राम लक्ष्मण द्वारा राक्षसी ताडि़का का वध, सुवाहू मारीच राक्षस को दूर फेक देने तथा श्री राम द्वारा धनुष भंग का समाचार पढ़कर राजा दशरथ की आँखों में खुशी के आसू छलकने लगे।

श्री राम लक्ष्मण का समाचार पढ़कर राजा दशरथ धन्य हो गये। ‘‘पुनि धरि धीर पत्रिका वाची हर्षो सभा वाच सुन पासी‘‘ उन्होने श्री राम लक्षमण के चरित्रों की पत्रिका वाचकर पूरी सभा को सुनायी जिसे सुनकर पूरी सभा हर्षित हुई। फिर राजा दशरथ ने दूत से पत्रिका वचवायी जिसे सुनकर तीनों माताये कौशल्या, सुमित्रा, कैकेयी तथा छोटे भाई भरत शत्रुधन भी हर्षित हुए। डा0 पाठक ने कहा कि भगवान श्री राम का जन्म भी 27 वाँ नक्षत्र में हुआ था और यह 27 वाँ मानस सम्मेलन है जो समाज को जागरुक कर दिशा देने का काम करती है।

इस मौके पर भारत सिह, दिवाकर लाल अग्निहोत्री, अशोक कुमार रस्तोगी, सुजीत पाठक, ब्रज किशोर सिंह किशोर, मधु गौड़, विजय लक्ष्मी पाठक, रामऔतार गुप्ता सहित कई दर्जन लोग मौजूद रहे।