विधान परिषद में मुलायम निभाएंगे लालू से रिश्‍तेदारी, अमर से दोस्‍ती

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jayaprada_Jitendra yadavलखनऊ. अभी हाल ही में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के पोते तेज प्रताप यादव (तेजू) से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की बेटी की शादी हुई है। ऐसे में अब इस नई रिश्तेदारी में एक-दूसरे को तोहफे देने का समय भी आ गया है। यूपी विधान परिषद (एमएलसी) में मनोनयन कोटे की नौ सीटें 25 मई को खाली हो रही हैं। ऐसे में सूत्रों की मानें तो लालू की सिफारिश पर उनके दूसरे समधी और समाजवादी नेता जीतेंद्र यादव अब सपा के कोटे से एमएलसी बनेंगे। वहीं, मुलायम के कंसल्टेंट बने अमर सिंह की सिफारिश पर जयाप्रदा भी सपा से एमएलसी बन सकती हैं। बताते चलें कि समाजवादी सरकार इन नौ नामित सीटों के लिए नाम तय करके जल्द ही राजभवन भेजेगी। जानकारों का कहना है कि सपा के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण अवसर है। ऐसे में मनोनयन के जरिये सपा पिछड़े वर्ग के साथ-साथ क्षेत्रीय और जातीय संतुलन भी साधने का प्रयास करेगी। जानकारी हो कि इन नौ सीटों पर मनोनयन राज्यपाल राम नाइक को करना है। दरअसल, मनोनयन कोटे से हमेशा ही कला, संस्कृति, साहित्य, समाजसेवा के क्षेत्र के लोगों को नामित किया जाता रहा है। ऐसे में मुलायम सिंह यादव के गुरु उदय प्रताप और महिला कोटे से जयाप्रदा का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। वहीं, मिशन-2017 को देखते हुए सपा दो मुस्लिम, चार पिछड़ा वर्ग से, एक दलित, एक क्षत्रिय औए एक महिला को एमएलसी के लिए मनोनीत कर सकती है।जीतेंद्र यादव गाजियाबाद से आते हैं। वह लालू के समधी हैं। लालू की बेटी रागिनी की शादी जीतेंद्र यादव के बेटे से हुई है। पिछले 18 साल से जीतेंद्र राजनीति के फलक पर आने के लिए बेताब हैं। लालू ने उन्हें कांग्रेस से बुलंदशहर के सिकंदराबाद से टिकट भी दिलवाया था, लेकिन वह चुनाव नहीं जीत सके थे। यही नहीं, वह समाजवादी युवजन सभा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।सूत्रों की मानें तो अभी मुलायम परिवार की बैठक में संभावित नेताओं के नाम पर चर्चा हो गई है और लिस्ट भी तैयार कर ली गई है, लेकिन अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। माना जा रहा है कि कुछ नामों पर विवाद है, जिसके कारण अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। वहीं, सपा नेताओं का कहना है कि सपा सुप्रीमो ही लिस्ट पर अंतिम मुहर लगाएंगे। जनता परिवार में सपा के विलय से पार्टी के कई नेता खुश नहीं है। नाम न बताने की शर्त पर वह कहते हैं कि इन नौ सीटों पर जनता परिवार का असर भी दिखेगा। जीतेंद्र यादव को जहां एमएलसी बनाने का दबाव है, वहीं अन्य पार्टियां भी अपने-अपने उम्मीदवारों का नाम सपा मुखिया को भेजने में जुटी हैं।

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