लखनऊ: उत्तर प्रदेश में फर्जी दारोगा, आइएएस, आइपीएस तथा अन्य कई मामले सामने आए हैं लेकिन राजधानी लखनऊ में तो हद हो गई। यहां पर एक फर्जी पुलिस चौकी काम रही थी, वह भी एक वर्ष से। लखनऊ के कृष्णानगर में इस फर्जी पुलिस चौकी का संचालन प्रापर्टी डीलर कर रहा था।
लखनऊ के कृष्णानगर क्षेत्र के अलीनगर सुनहरा गांव में बिल्डर ने अपने फायदे के लिए न्यू गोल्डन सिटी नाम से फर्जी पुलिस चौकी खोल दी। बिल्डर ही खुद चौकी का प्रभारी भी बन बैठा। एक वकील का इस बिल्डर से विवाद होने के बाद सनसनीखेज मामला तब प्रकाश में आया, जब कल वकील ने इसकी शिकायत एसएसपी यशस्वी यादव से की। ताज्जुब की बात तो यह भी है कि एक कमरे में खुली इस चौकी पर प्रस्तावित पुलिस चौकी लिखा गया था। सीओ कृष्णानगर के मुताबिक कथित पुलिस चौकी को किसने बनवाया था, इसकी जांच कराई जा रही है। उधर कृष्णानगर इंस्पेक्टर सुनील दत्त कौल के मुताबिक वकील की तहरीर के आधार पर रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच कराई जा रही है।
कृष्णानगर कोतवाली क्षेत्र में यह फर्जी पुलिस चौकी करीब एक साल से च,ल रही थी। टाऊन एरिया, इटौंजा के वकील अरुण कुमार गिरि ने कल जब एसएसपी को कथित पुलिस चौकी में उनके साथ मारपीट व लूट की शिकायत की, तब सीओ कृष्णानगर अवनीश मिश्र पुलिस बल के साथ अलीनगर सुनहरा गांव पहुंचे। वकील ने पुलिस को दी तहरीर में आरोप लगाया है कि 10 मार्च को वह सुनहरा सोसाइटी में भूखंड देखने गए थे, जहां मौजूद दो युवकों ने उन्हें रोक लिया और वहां आने का मकसद पूछा। भूखंड देखने आने की बात कहने पर दोनों ने उनसे बदसलूकी व मारपीट शुरू कर दी। विरोध करने व शोर मचाने पर चार-पांच असलहाधारी युवक वहां आ गए। इसके बाद उन्हें कृष्णानगर कोतवाली की न्यू गोल्डन सिटी पुलिस चौकी पर ले जाया गया, जहां एक व्यक्ति सादे कपड़ों में पहले से बैठा था। उक्त व्यक्ति ने दावा किया कि वह चौकी प्रभारी अंजाना वर्मा है तथा असलहाधारी युवक पुलिसकर्मी हैं। मारपीट करने वाले दोनों युवकों से समझौता करने का दबाव बनाते हुए उनसे पांच हजार रुपये छीनने के बाद दो सादे कागजों पर हस्ताक्षर करा लिए गए। बाद में उन्हें वहां से भगा दिया गया।
सीओ के मुताबिक रिपोर्ट दर्ज कराकर इस बात की गहनता से जांच कराई जाएगी कि कथित रूप से चौकी किसने बनवाई। शुरुआती जांच में ऐसा लग रहा है कि बिल्डर ने ग्राहकों को ऊंची दरों पर प्लाट बेचने का लाभ उठाने के लिए चौकी बनवाई। फर्जी चौकी का प्रकरण सामने आने पर कृष्णानगर पुलिस का कहना है कि अलीनगर सुनहरा सोसाइटी में जमीन के विवाद को लेकर 2013 में दो बार गोली चली थी जबकि 2014 में भी बड़ा विवाद हुआ था। सीओ कृष्णानगर के मुताबिक जमीन के बढ़ते विवाद के दृष्टिगत वहां पुलिस पिकेट की व्यवस्था की गई थी। पुलिस वहां जाती भी थी। वहीं कुछ ग्रामीणों का कहना है कि वहां पुलिस पिकेट नजर नहीं आती थी। कल भी फर्जी चौकी के आसपास असलहाधारी कई युवक मौजूद थे।
पहले पुलिस को नहीं दी सूचना
सीओ कृष्णानगर के मुताबिक न्यू गोल्डन सिटी में हुई घटना की सूचना वकील ने एक दिन बाद सीधे एसएसपी को दी। इससे पूर्व 100 नंबर अथवा थाने पर कोई सूचना नहीं दी गई। आरोपी अंजाना वर्मा न्यू गोल्डन सोसाइटी के सेक्रेट्री है। शुरुआती जांच में वकील तथा आरोपी अंजाना वर्मा के बीच सोसाइटी की जमीन को लेकर विवाद की बात सामने आ रही है। फर्जी चौकी कैसे खुली, इसका संतोषजनक जवाब पुलिस अधिकारियों के पास नहीं है।
भूमाफिया-पुलिस का गठजोड़ बढ़ा
लखनऊ में भूमाफिया-पुलिस का गठजोड़ लगातार बढ़ता जा रहा है। इसकी ताजा नजीर कृष्णानगर के अलीनगर सुनहरा गांव में फर्जी तरीके से पुलिस चौकी बन जाने का मामला है। भूखंडों के बीच कमरे को पुलिस के चिन्ह का रंग कराने के बाद उस पर प्रस्तावित पुलिस चौकी लिख दिया गया। यहां से कुछ दूरी पर कृष्णानगर क्षेत्र की विजयनगर पुलिस चौकी है। ताज्जुब की बात है कि इससे पहले पुलिसकर्मियों की नजर इस चौकी पर क्यों नहीं पड़ी। इससे स्थानीय पुलिस की भूमिका पर भी गहरे सवाल खड़े हो रहे हैं। राजधानी में जमीन के विवाद व उसे लेकर आपराधिक घटनाओं का ग्राफ कुछ सालों में लगातार बढ़ा है। वहीं भूमाफिया खाकी के संरक्षण में अपना नेटवर्क लगातार बढ़ाते रहे हैं।
मांग पर बनती है चौकी
एक वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी के मुताबिक नागरिकों की डिमांड पर एसएसपी आफिस में एक प्रस्ताव बनता है, जिसके आधार पर पुलिस चौकी खोली जाती है। प्रस्ताव बनने पर चौकी के हल्के तथा बीट का निर्धारण भी किया जाता है। महज प्रस्ताव होने पर किसी भी निजी बिल्डिंग में पुलिस कलर का प्रयोग नहीं किया जा सकता।