लखनऊ: उच्च न्यायालय की खंडपीठ को लड़ रहे वकीलों को मनाने का केंद्र सरकार का पहला प्रयास विफल हो गया। इसके बाद अधिवक्ताओं का आंदोलन पुन: अपनी रफ्तार पर चल पड़ा। आज सुबह अधिवक्ता वाहन रैली के रूप में आगरा के प्रतापपुरा चौराहे पर सभा के लिए एकत्र हुए। वह 22 जनवरी को नेशनल हाईवे-2 जाम करेंगे। सभी समर्थक जिलों में स्थानीय अधिवक्ता भी हाईवे जाम करेंगे।
27 जनवरी को ताज घेराव पर अड़े वकीलों ने वार्ता के लिए आया केंद्रीय विधि मंत्री का न्योता ठुकरा दिया है। खंडपीठ स्थापना संघर्ष समिति ने एलान किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को किसी कीमत पर ताज में प्रवेश नहीं करने देंगे। यह निर्णय सिर्फ प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद बदला जा सकता है।
आगरा में खंडपीठ के लिए संघर्षरत वकीलों ने 17 जनवरी को महासम्मेलन में एलान कर दिया था कि 27 जनवरी को ओबामा के आगमन पर ताज का घेराव करेंगे। यह घोषणा सभी राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के सामने की गई। सभी दलों ने सहभागिता का दंभ भरा, लेकिन अब भाजपा दायें-बायें हो रही है। कल ताज घेराव की रणनीति बनाने को दीवानी स्थित बार हॉल में सहयोगी अधिवक्ता संघों और राजनीतिक दलों की बैठक में संघर्ष समिति ने कहा कि फतेहपुर सीकरी के सांसद चौ. बाबूलाल के माध्यम से केंद्रीय विधि मंत्री सदानंद गौड़ा का वार्ता का न्योता सर्वसम्मति से ठुकरा दिया गया। अधिवक्ताओं का तर्क था कि विधि मंत्री से अब तक कई बार वार्ता हो चुकी है, इसलिए उनसे मुलाकात का कोई औचित्य नहीं है।
सर्व सम्मति के आधार पर संघर्ष समिति के संयोजक केडी शर्मा ने घोषणा की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात होती है, तो ही ताज घेराव के निर्णय को बदला जा सकता है। वकीलों ने फिर हुंकार भरी कि पुलिस प्रशासन उन्हें नहीं रोक नहीं सकता। ओबामा को ताजमहल में कतई प्रवेश नहीं करने देंगे।
आगे की रणनीति
25 जनवरी को ताजगंज क्षेत्र में शाम को अधिवक्ताओं की सभा कर मशाल जुलूस निकाला जाएगा। 26 जनवरी, को फुलट्टी से निकलने वाले जुलूस में अधिवक्ता शामिल होंगे। 27 जनवरी, को 17 जिलों के वकील राजनीतिक दलों के साथ ताज का घेराव कर अमेरिकी राष्ट्रपति का प्रवेश रोकेंगे। आज बैठक से भाजपा और बसपा पूरी तरह गायब रहीं। कांग्रेसी शामिल हुए।