लखनऊ: अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का ताज भ्रमण 350 साल पुरानी मुगल जल प्रणाली को नया जीवनदान देगा। वर्षों से बंद यह प्राचीन प्रणाली फिर जीवंत होगी। ताजमहल में सेंट्रल टैंक और अन्य टैंकों में लगे फ व्वारे मुगलकालीन प्रणाली से चलेंगे। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने इसके लिए प्राचीन टैंक को साफ कराने के साथ ही दुरुस्त कराया है।
पत्नी मिशेल के साथ बराक ओबामा 27 जनवरी को आगरा आ रहे हैं। उनके भ्रमण को यादगार बनाने में एएसआइ कोई कसर नहीं छोडऩा चाहता। एएसआइ की उद्यान शाखा ने ताज में बने टैंकों को बैक्टीरिया फ्री करने को कॉपर सल्फेट और चूने का छिड़काव कराया है। प्राचीन जल प्रणाली को संवारा जा रहा है। ताज पश्चिमी गेट स्थित खान-ए-आलम के गेट के बगल से बने टैंक की भी सफाई कराई है। टैंक में लंबे समय से जमा मलबा निकालकर पानी भर लिया गया है। अगर ताज में फ व्वारों को चलाने वाली मोटर खराब होती है, तो भी ये चलते रहें। एएसआइ की उद्यान शाखा के निदेशक डॉ. एचबी सिंह ने बताया कि ओबामा के ताज भ्रमण के दौरान अगर वर्तमान व्यवस्था फेल होती है, तो मुगलकालीन जल प्रणाली से फ व्वारे चलाए जाएंगे।
यमुना जल से चलते थे फ व्वारे
ताज में फ व्वारे मुगल काल में यमुना जल से चलते थे। इसके लिए बाग खान-ए-आलम में लगी जल प्रणाली से इन तक पानी पहुंचाया जाता था। तब यमुना जल को रहट की मदद से ऊपर पहुंचाया जाता था, जहां से वह टैंक तक पहुंचता था। टैंक से वेग से पानी नीचे आता था, तो दबाव की वजह से फव्वारे चलते थे। यह प्रणाली ब्रिटिश काल में नष्ट हो गई थी। वर्तमान में ताज में लगे फव्वारे मोटर से चलाए जाते हैं।