फर्रुखाबाद: फर्रुखाबाद जिले के मऊदरवाजा थानाध्यक्ष कमरूल हशन को उत्तर प्रदेश का ताकतवर एसओ माना जा रहा है| इटावा जिले से तवादले पर आये कमरूल हशन की १७ जुलाई २००७ को थाना मऊदरवाजा में तैनाती हुयी थी|
ताकतवर एसओ होने की मुख्य वजह है कमरूल हशन की यूपी के ताकतवर कामीना मंत्री से दोस्ती| थाने में आमद कराने के बाद ही कमरूल ने कहना शुरू कर दिया कि सूबे के स्वास्थय मंत्री अनंत कुमार मिश्र उर्फ़ अन्टू उनके सहपाठी हैं और उन्होंने ही अपने विधान सभा क्षेत्र में नियुक्ति कराई है|
पहले तो लोगों ने एसओ की बातों को लफ्वाजी समझा लेकिन जब उन्होंने नगर क्षेत्र में मंत्री के अधिकाँश कार्यक्रमों में कमरूल को मौजूद देखा| अनेकों मौकों पर अन्टू को यह कहते देखा गया कि कमरूल को बुलाओ| फिर धीरे-धीरे कमरूल का जितना कार्यकाल बड़ता गया उतनी ही उनकी जिले में धाक जमी|
समझा जाता है कि पुलिस अधीक्षकों को पहले ही चेताया जाता रहा कि कमरूल आम एसओ नहीं है वह प्रदेश के ताकतवर मंत्री के करीबी दोस्त हैं| पुलिस कप्तानों ने भी ताकतवर एसओ की ओर आँख उठाने तक की हिम्मत नहीं की|
इसका सवूत है कि ५ सितम्बर २००८ को आये एसपी राजबहादुर के बाद काशीनाथ, संजीव गुप्ता, व अखिलेश मीना तवादले पर चले गए, जिन्होंने इतने थानाध्यक्षों के तवादले किये कि उनकी गिनती करना मुश्किल है| एसपी ही नहीं कई आईजी व डीआईजी भी बदल गए| कमरूल की ताकत के सामने सीओ व एडिशनल के तवादलों की चर्चा करना बेईमानी है|
चर्चा है कि मंत्री ने अपने एक वर्ग के वोट बैंक को खुश करने के लिए कमरूल को एक ही स्थान पर जमा रखा है| कमरूल में ऐसी भी कोई खूबी नहीं दिखती कि उनके मुकाबले जिले में अन्य कोई दरोगा न हो, हां कमाई करने के मामले में कमरूल का रेट भी बहुत ऊंचा है| बीते दिन ही जुआं खेलते पकडे गए पीएसी जवान सहित दो लोगों को मोटी रकम लेकर छोंड दिया गया अन्य चार जुआरियों को जमानत के नाम पर मुंह माँगी रकम लेकर छोड़ा गया|
अब शासन ने एसओ व इंस्पेक्टर की एक ही स्थान पर अधिकतम तैनाती के लिए २ वर्ष की सीमा तय कर दी है| अब देखना यह है कि ताकतवर एसओ को सरकार का नया आदेश हटा पायेगा या नहीं|