सलीम लंगड़े पर मत रो- 33 साल में 30 डीएम के 300 बार चक्कर लगाने के बाद मिला किसान को न्याय

Uncategorized

NKS CHAUHANफर्रुखाबाद: राममूर्ति अब चैन से दुनिया से विदा हो सकेगा| उसके बेटे को अपनी जमीन अब अपने बाबा की जगह अपने पिता के नाम से अपने नाम करवाने का मौका मिलेगा| यही दुनिया का दस्तूर है| पूरी जवानी उसने कचहरी के चक्कर काटते खर्च कर दिए| 33 साल पहले जिस खानदानी खेत के टुकड़े को राममूर्ति लेखपाल के रजिस्टर में अपने नाम दर्ज करवाना चाहता था उसे आज वर्तमान जिलाधिकारी एन के एस चौहान ने उसके नाम खड़े खड़े दर्ज करा दिया| यही नहीं उन्होंने तहसीलदार सदर को तुरंत तलब कर मुकदमे के निस्तारण के आदेश को अमल दरामद करा दिया| हालाँकि इसमें 33 साल लग गए| ये भारतीय न्याय व्यवस्था और भ्रष्ट पड़ चुकी व्यवस्था कोसने का भी एक मौका है| साथ ही साथ व्यवस्था में अभी भी कुछ आस है इस पर संतोष करने का जरिया भी|

33 सालो में जिलाधिकारी के नाम वाली पट्टिका पर तीन लाइने भर गई| सुभाष चन्द्र कलेक्टर/जिलाधिकारी से लेकर पवन कुमार फर्रुखाबाद के कलेक्टर की कुर्सी पर बैठ कर चले गए मगर किसी को भी राममूर्ति के केस को निपटाने की शायद फुर्सत नही मिली| इसी बीच न जाने कितने पेशकार आये और चले गए| पेशकार के आठ आने प्रति तारीख के खर्चे से शुरू हुआ मुकदमा 20 रुपये प्रति तारीख लगाने की रिश्वत तक पहुंच गया तब मिला इन्साफ| इस दौरान 30 जिलाधिकारी आये और चले गए| कुछ महीनो के लिए आये तो कुछ कई साल टिके| मगर राममूर्ति को जहाँ तक याद है उसने सभी के कार्यकाल में तारीखे की थी| मुकदमा संख्या 13/79-80 राममूर्ति बनाम सरकार का निस्तारण आज दिनांक 7-11-2014 को हो गया| यही नहीं जिलाधिकारी ने अपने आदेश में लिखा कि “प्रस्तुतकर्ता की लापरवाही से वादी राममूर्ति वर्ष 1981 से न्यायालय के चक्कर काट रहा था और 33 वर्ष बाद उसको असंतोष प्राप्त हो सका| इतनी लम्बी अवधि में कई पेशकर काम किये होंगे और कई कलेक्टरों का कार्यकाल बीत गया परन्तु वादी को न्याय नहीं मिल पाया था” शायद एन के एस चौहान को भी आज राममूर्ति के मुकदमे को निस्तारण करने के बाद बहुत संतोष हुआ हो| मगर कलेक्टर की कुर्सी पर बैठने वाला हमेशा ही एनकेएस चौहान हो और न्याय पाने वाला हर बार राममूर्ति हो ये संयोग हमेशा नहीं होता|

क्या था मुकदमा-
राममूर्ति के पक्ष में धारा एल आर एक्ट 28 के तहत तत्कालीन जिलाधिकारी कलेक्टर ने राजस्व अभिलेखो में भूमि दर्ज करने का आदेश किया था जिसके क्रियान्वयन के लिए राममूर्ति कलेक्टर के दफ्तर के चक्कर 33 साल से लगा रहा था|

[bannergarden id=”8″] [bannergarden id=”11″]