नई दिल्ली: एआईडीएमके की प्रमुख जयललिता को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। जयललिता आय से अधिक संपत्ति के मामले में जेल में थीं। जयललिता ने जेल जाने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। भ्रष्टाचार के मामले में बैंगलुरू कोर्ट ने जयललिता को 4 साल की सजा सुनाई और 100 करोड़ का जुर्माना ठोंका था। जयललिता 27 सितंबर से जेल में बंद थी।
जयललिता ने खुद को कई बीमारियों से जूझने और इस मामले में उन्हें केवल चार साल की जेल की सजा सुनाए जाने को तत्काल राहत दिए जाने का आधार बनाया था। जयललिता ने जमानत के लिए सीनियर सिटीजन और महिला होने को भी आधार बनाया था। तमिलनाडु में शांति आएगी इसलिए कोर्ट ने आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने जयललिता की जमानत याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि उनकी पार्टी के समर्थक राज्य में कानून व्यवस्था की समस्या पैदा न करें। सुप्रीम कोर्ट ने जया से कहा कि वो दो महीने के अंदर पेपरबुक दाखिल करें, अगर दो महीने में पेपरबुक दाखिल नहीं की गई तो आगे एक दिन का भी समय नहीं दिया जाएगा।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की याचिका पर सुनवाई पर सहमति जताते हुए इसके लिए 17 अक्टूबर की तारीख मुर्करर की थी। जयललिता ने निचली अदालत से मिली सजा पर रोक लगाने और जमानत संबंधी याचिका को कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा ठुकराए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
जयललिता के जमानत मिलने पर बीजेपी नेता सुब्रमण्य स्वामी ने कहा कि जया की बेल पर कोर्ट में तीन बातें कही गई है। एक घर में रहेगी। दिसंबर 18 तक सारी पेपरबुक तैयार कर लें। उसके एक महीने के अंदर कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू करें। तमिलनाडु में कोई अहिंसा स्वीकार नहीं है।