तब वशिष्ठ बहु विधि समुझावा……..

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rambhdrachary 46फर्रुखाबाद: जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी ने श्री राम कथा का वर्णन करते हुए कहा की वशिष्ठ जी को यह भलीभांति मालूम था की भगवान का जन्म राष्ट्र रक्षा के लिए हुआ है| इस लिए वह समाज को सही रास्ता दिखाने के लिए भगवान को अयोध्या से बाहर ले जाना चाहते थे|
कथा का वर्णन करते हुए रामभद्राचार्य ने कहा की जब विश्वामित्र अयोध्या में राजा दशरथ के पास अपने यज्ञ की रक्षा के लिए एवं आसुरी शक्तियों के नाश के लिए राम और लक्ष्मण को मांगने आये तब वशिष्ठ ने राजा दशरथ को बहुत प्रकार से समझाया क्योंकि वशिष्ठ भली भांति जानते थे कि राम का जन्म राष्ट्र रक्षा के लिए हुआ है| पूर्व में विश्वामित्र व वशिष्ठ का युद्ध हो चुका था| परन्तु राष्ट्र का जब प्रश्न आया तो वशिष्ठ जी ने राजा समझाया कि उन्होंने अपने सारे मतभेद भुला दिए है|
इस वार्ता का वर्णन करते हुए रामभद्राचार्य जी ने कहा कि हम सभी भारत वासियों को भी राष्ट्र कि रक्षा के लिए मिलकर अपने मतभेदों को भुलाकर कार्य करना चाहिए| चाहे फिर वह हिन्दू हो मुसलमान हो सिख हो या ईसाई या कोई और क्यों न हो किन्तु राष्ट्र रक्षा के लिए हम सभी को अपने स्वार्थ अहम को किनारे रखकरवैसे ही कार्य करना चाहिए जैसे अयोध्या में वशिष्ठ जी ने किया| उन्होंने कथा का रस पान कराते हुए कहा कि अहिल्या के लिए विश्वामित्र ने राम से कहा कि इस पर कृपा करो यह गौतम जी के श्राप के कारण शिला बन गई है| यह आपके चरणों की रज चाहती है| प्रभु ने उसे अपने पैरो से स्पर्श किया और वह प्रभु का गुणगान करती हुई उनके बैकुंठ धाम को चली गयी| पुरे समय श्रोताओ ने स्वामी रामभद्राचार्य कि कथा को भक्ति रस की गंगा में गोते खाते नजर आये|
इस दौरान आचार्य सुवेद, जय मिश्रा, प्रसून तिवारी, संतोष व रामवीर के अलावा अनिल त्रिपाठी, उमा त्रिपाठी, सांसद मुकेश राजपूत, सौभाग्यवती राजपूत, मनीष मिश्रा, मिथलेश अग्रवाल, मनोज अग्निहोत्री आदि मौजूद रहे|
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