गोरखधंधा- महाभारत कालीन यक्ष तालाब की भूमि का भी हो गया पट्टा, विरोध में ग्रामीण

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History Yaksh Talab Kurar Farrukhabadफर्रुखाबाद: ग्राम समाज, बंजर और नजूल की जमीनो की जमीनो को लेखपालो, प्रधानो और भूमाफियाओं ने बड़े ही करीने से हड़पा है| पुरानी नजूल की जमीनो के पचास पचास सालो के पुराने रिकॉर्ड में हेराफेरी कर तमाम गोरखधंधे अममने आ चुके है| ताजा मामला जाखदेव महाराज मंदिर के लिए छोड़ी गयी जमीन का है| मेले के लिए छोड़ी गयी ग्राम समाज की जमीन पर प्रधान और लेखपाल ने बिना खुली बैठक बुलाये पट्टा कर दिया| मालपानी लेकर लेखपाल तबादले पर चले गए| अब पट्टा धारक जमीन की पैमाइश के लिए तहसील दिवस में शिकायत कर रहा है| वहीँ गाव के लोगो की आपत्ति है कि मेले के लिए छोड़ी गयी जमीन पर पट्टा लेखपाल और कानूनगो ने कर कैसे दिया|

प्राचीनतम तीर्थस्थल जखादेव महाराज मन्दिर की जमीन का तहसील कायमगज के गाव कुरार के पूर्व लेखपाल और पूर्व प्रधान ने मिली भगत से चक्रपाल पुत्र पतिराम के नाम पट्टा अलाट कर दिया| पट्टा करने के बाद प्रधानजी चुनाव हार गए और लेखपाल का भी तबादला हो गया| पिछले 4 साल से जमीन की पैमाइश के अभाव में पट्टा धारक को पट्टे पर कब्ज़ा नहीं मिला तो तहसील दिवस में शिकायत हुई| अब वर्तमान लेखपाल अशोक वर्मा संकट में है| एक तरफ तहसील दिवस की शिकायत का निस्तारण होना है तो दूसरी तरफ गाव के लोगो का विरोध| दरअसल में खाता संख्या 781 की 5 बीघा जमीन कभी मंदिर के साथ लगे होने के कारण मेले के लिए छोड़ी गयी थी जहाँ साल में कई बार धार्मिक आयोजन किये जाते है| गाव के नाहर सिंह, छोटेलाल, ईश्वर दयाल, अनिल कुमार और योगेन्द्र सिंह का कहना है कि किसी भी कीमत पर धार्मिक आयोजन के लिए छोड़ी गयी जमीन को पट्टे पर नहीं देने दिया जायेगा| जबकि पत्तेदार भूमिहीन भी नहीं है|

महाभारत के युधिष्ठिर से सबंधित धार्मिक स्थल है यक्ष तालाब-
यह तीर्थस्थल बहुत पुराना है। जहा आज भी पुरानी मूर्तिया, ककइया ईट की चौडी दीवारे देखने को मलती है। जहा श्रद्धालु दूर दराज से आते है। जखादेव महाराज जी से मनोकामना करते है। बुजुर्ग कहते है यह यक्षदेव महाराज जी का मन्दिर है। जहा एक बङा सरोबर है। जहा यक्ष ने युद्दिष्ठिर से प्रश्न किये थे। तीर्थस्थल का द्रश्य ऐसा ही देखने को मिलता है।

लेखपाल, राजस्व निरीक्षक ने तीर्थस्थल की जमीन का भी पटटा कर दिया। श्री जखादेव महाराज जी का मन्दिर मौजा कुरार के गनेशपुर के पूर्व, गिलौदा प्रहलादपुर के बीच मे स्थित है। इस पर नवरात्रो व नवमी पर मेला लगता है। नवमी को मनोकामना पूरी होने पर श्रद्दालु कावर व नेजा चडाते है। बाँझ औरतो की गोद भरने पर पूरी हुई मनोकामना होने पर खीर पूरी चडाते है। प्राचीनतम तीर्थस्थल पर पचमी, नवमी, एकादशी, पर श्रद्दालु नोएडा, दिल्ली, आगरा व आस पास जिलो से लोग आते है। बाबा जी के दर्शन से सभी कष्ट दूर हो जाते है। लेखापल ने मन्दिर की जमीन का भी सौदा कर पटटा आवँटित कर दिया।

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