धमतरी: एक ओर जहां अथाह पानी से लबालब गंगरेल बांध को नाव से पार करने की हिम्मत साहसी लोग भी नहीं कर पाते वहीं डूबान क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सिर्फ दो परिवारों वाले ग्राम मोंगरी के 10 वर्षीय भक्त प्रहलाद को पढ़ने का ऐसा जुनून है कि वह रोजाना 6 किलोमीटर बांध को पार कर स्कूल आता-जाता है। पांच साल की उम्र में स्कूल जाने के लिए नाव का चप्पू पकड़ने वाला यह बालक आज उफनती लहरों और गहरी महानदी में नाव चलाने में पारंगत हो गया है। वहीं मोंगरी गांव से प्रहलाद सिर्फ एक ही छात्र है।
सड़क मार्ग से जाने पर जिला मुख्यालय से 42 किलोमीटर दूर डूबान क्षेत्र का एक गांव कांदरी है। यहां से गंगरेल बांध के जलभराव क्षेत्र को पार कर नाव से जाने पर 3 किलोमीटर दूर टापूनुमा गांव मोंगरी है। इस गांव से गंगरेल बांध स्पष्ट नजर आता है। पानी के रास्ते जाने पर गंगरेल बांध की दूरी बमुश्किल 7 किमी होगी। ग्राम कांदरी के प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाले 10 वर्षीय छात्र भक्त प्रहलाद गोड़ जिसे भक्ता के नाम से आसपास के लोग जानते हैं। वह इसी गांव में रहता है। वह स्कूल जाने के लिए रोजाना अकेले गंगरेल के जलभराव क्षेत्र को नाव से पार करता है।
पहले डर लगता था
स्कूल के प्रधानपाठक सुदर्शन ठाकुर एवं शिक्षक रामनंदन यादव ने बताया कि पांच साल की उम्र से भक्त प्रह्लाद नाव से बांध पारकर स्कूल आ रहा है। पहले अपनी मौसी ईश्वरी के साथ स्कूल आता था। ईश्वरी अब पढ़ने के लिए धनोरा चली गई है। इसलिए भक्ता अकेले स्कूल आता है। भक्ता की नानी रूखमणी बाई ने बताया कि शुरू-शुरू में छोटे बच्चे को गंगरेल बांध के पानी में नाव पर अकेले स्कूल भेजने में डर लगता था। लेकिन अब भक्ता नाव चलाने में पारंगत हो गया है। आधे घंटे में गंगेरल को पारकर नाव से स्कूल पहुंच जाता है। कभी-कभी ज्यादा बारिश होने या मौसम खराब होने पर वह कांदरी में ही अपने दोस्तों के घर में रुक जाता है। मौसम सामान्य होने पर घर आता है।
मोदी जैसा बनने की ख्वाहिश
ग्राम मोंगरी पहुंचे संवाददाता को पांचवीं के छात्र भक्ता ने बताया कि वह बड़ा होकर देशसेवा करना चाहता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसा बड़ा आदमी बनना चाहता है। भक्ता का कहना है कि उसके शिक्षकों ने बताया है कि नरेन्द्र मोदी पहले चाय बेचा करते थे लेकिन पढ़-लिखकर और मेहनत लगन के साथ काम करके देश के प्रधानमंत्री बन गए। इसी तरह वह भी अपनी लगन से मोदी जैसा बनना चाहता है। नाव चलाने में और गंगेरल के अथाह पानी को देखकर डर नहीं लगता क्या? इस पर उसने कहा कि पहले डर लगता था लेकिन फिर सब कुछ आसान लगने लगा। उसने बताया कि जब वह पांच वर्ष का था तब बड़े भाई दिनेश ने उसे नाव चलाना सिखाया था। इसके अलावा उसे तैरना भी आता है।
स्कूल अटेंड करने का बनाया रिकार्ड
भक्ता जिला ही नहीं संभवतः प्रदेश का पहला ऐसा छात्र है जिसने नाव से नदी पार कर स्कूल अटेंड करने में रिकॉर्ड बनाया है। स्कूली दस्तावेज के मुताबिक वर्ष 2013-14 में कक्षा चौथी में पढ़ने वाले भक्ता ने 231 दिन में से 217 दिन उपस्थिति दर्ज कराई। वर्ष 2012-13 में कक्षा तीसरी में उसने स्कूल में 228 में से 213 दिन हाजिरी दी। वर्ष 2011-12 में कक्षा दूसरी में पढ़ने के दौरान भक्ता ने 229 दिन में से 210 दिन स्कूल पहुंचकर पढ़ाई की।