बेसिक शिक्षा के भवन माफियाओ को कलेक्टर के तबादले का इंतजार

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bsa 1 copyफर्रुखाबाद: बेसिक शिक्षा की छवि सुधारने की जितनी कोशिश प्रदेश सरकार कर रही है उतनी ही बड़े पैमाने पर जनता के पैसो के साथ बंदर बाँट किया जाता रहा है |कभी ड्रेस के नाम पर कभी किताबो के नाम पर कभी मिडेमील के नाम परऔर भवन निर्माण के नाम पर लाखो रुपये का खेल होता है| अतिरिक्त कक्षा कक्ष बनाने के नाम पर विभाग के भवन माफिया व अधिकारियो की चटुकारिता में लगे कर्मी मलाई काट रहे है | प्राथमिक विधालय फतेहगढ़ में तोड़े गये चार कक्ष किस नियम के तहत तोड़े गये अब यह बाद की बात है कमरे बने नही और लाखो रुपये भुगतान का निकल भी गया लेकिन अब माफियाओ को तेजतर्रार जिलाधिकारी नरेन्द्र कुमार के तबादले का इंतजार है| जिससे वह सरकार के लाखो रुपये हजम कर सके| वैसे जिलाधिकारी की इस मामले पर नजर है!|
जनपद में अधूरे अतिरिक्त कक्षा कक्षों को पूर्ण करने के लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने तीस जून तक पूर्ण करने के निर्देश दिये थे उसके बाद सम्बन्धित अध्यापक के खिलाफ एफआईआर कराने की धमकी दी गयी थी| जिसको बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बड़े बड़े अक्षरों में अखबारों में लिखाया भी गया था| लेकिन ना ही रिपोर्ट दर्ज की गयी और ना ही भवन पूर्ण हुए|
जिसके उदाहरण स्वरूप फतेहगढ़ प्राथमिक विधालय में भ्रष्टाचार की सभी सीमाए पार हो गयी| पहले तो विधालय के भवन का पुराना सामान ही नीलाम नही किया गया और बंदर बाँट करने के लिए भूमिका बना ली गयी| जिसके बाद जेएनआई ने प्रमुखता से इस विधालय के अतिरिक्त कक्षा कक्ष के निर्माण में हो रहे कानून के खुले उलंघन व भ्रष्टाचार पर एक खबर प्रकाशित की थी| जिसके बाद जिलाधिकारी ने मामले को संज्ञान में लिया और विधालय के कक्ष में तोड़े गये पुरने मलबे की नीलामी के लिए एक कमेटी गठित करने के आदेश जारी किये थे| जिसमे कई भवन माफिया व अधिकारी फसते नजर आ रहे थे|
बेसिक शिक्षा के अधिकारियो ने जिलाधिकारी के आदेश को ना मान कर नित नये नये बहाने बनाने में ही अपना हित समझा| जिलाधिकारी अन्य विभागीय कार्यो में व्यस्त हो गये तो बेसिक शिक्षा विभाग के भवन माफियाओ ने विभागीय अधिकारियो ने साठगांठ कर मामले को दबाने का प्रयास शुरू कर दिया|
वही आदेश जारी होने से पहले ही भवन माफियाओ ने कक्ष निर्माण के लिए आबंटित धनराशि भी आहरित कर ली और उस धनराशि पर कुंडली मार कर बैठ गये| बेसिक शिक्षा अधिकारी को अपना आदेश क्यों याद नही आया या जानबूझ कर उन्होंने भी अपने हाथ कोयले की दलाली में काले कर लिए|
वही जनपद के तेजतर्रार जिलाधिकारी नरेन्द्र कुमार सिंह के लाख प्रयास के बाद भी बेसिक शिक्षा के भवनों में करोड़ो का बंदर बाँट हुआ है| आधा सैकड़ा भवन अभी भी अपूर्ण पड़े है| भवन माफिया अब जिलाधिकारी के तबादले का इंतजार कर रहे है जिससे वह फतेहगढ़ प्राथमिक विधालय के चार कमरों की रकम आसानी से आपस में बंदर बाँट की जा सके| मजे की बात तो यह है की इतना सब कुछ हो जाने के बाद यह किसी को नही मालूम की आखिर यह भवन किसके इशारे पर तोडा गया था| फिलहल सभी चुप्पीसाधे हुए है|