भंडाफोड़- जेल में करोडो का खेल!

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फर्रुखाबाद: क्या राजा क्या रंक, सब जनता के धन को लूट रहे है| कभी जेल जाने का मौका मिले तो हकीकत देखिये मगर यहाँ हम आपको कुछ कागजात पर अंकित सफ़ेद और स्याह घोटाला की बानगी दिखाते है जो बड़े जतन से (सूचना के अधिकार) जेल की सलाखों से बाहर आ सके है|
कैदियो/बन्दियो को दिया जाने वाला खाना कितना शुद्ध और स्वादिष्ट होता है ये तो वही जान पाया जिसे जेल यात्रा का अनुभव प्राप्त हुआ है मगर जो दस्ताबेज हमें मिले उसे देख कर यही लगता है कि जेल में बड़ा ही लजीज, पौष्टिक और स्वादिष्ट खाना मिलता होगा|
फर्रुखाबाद की जेल में कैदियो/बन्दियो के लिए खरीदा जाने वाला खाद्य पदार्थ जैसे अरहर, मसूर, मूंग और चने की दाल, चना, वनस्पति घी, चीनी आदि पूरे प्रदेश में सबसे महगा होता है| कानपुर के मुकाबले ये भाव डेढ़ से दुगुने तक होते हैं| मगर पाठक इस भ्रम में न रहे कि महगा है तो लजीज भी होगा| हाँ करोडो के वारे न्यारे जरूर होते है|
जरा गौर करे कानपूर जेल और फर्रुखाबाद जेल में खरीद के बाजार भाव अंतर पर-
*(1-9-2009) भाव कानपुर जेल में खरीद के-
अरहर दाल- 6900.00 प्रति कुंतल
चना साबुत- 2400.00 प्रति कुंतल
वनस्पति घी (15kg) 570 प्रति टीन
#(5-9-2009) भाव फर्रुखाबाद जेल में खरीद के-
अरहर दाल- 8200.00 प्रति कुंतल
चना साबुत- 5500.00 प्रति कुंतल
वनस्पति घी (15kg) 1380 प्रति टीन
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*(1-10-2009) भाव कानपुर जेल में खरीद के-
उरद दाल- 4500.00 प्रति कुंतल
अरहर दाल- 7000.00 प्रति कुंतल
#(3-10-2009) भाव फर्रुखाबाद जेल में खरीद के-
उरद दाल- 6200.00 प्रति कुंतल
अरहर दाल- 8000.00 प्रति कुंतल
पूरी सूची की बानगी यू देखें-

दोषी कौन कौन हो सकता है?
इस खेल में जेल के अधिकारिओ पर सारा दोष डालना गलत होगा क्यूंकि असल कहानी शुरू होती है प्रदेश के खाद्य विपणन विभाग से| इस विभाग पर जिम्मेदारी है कि वो जेल को बाजार भाव उपलब्ध कराये| और उसी बाजार भाव की दर पर जेल खरीददारी करता है| खाद्य विपणन विभाग वही विभाग है जिले में सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों वाले कोटेदारो को और मिड डे मील के लिए राशन उपलब्ध करता है| इस लिहाज से इस बंदरबाट में दोनों की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता|
सूचना का अधिकार बन सकता है गले की फांस-
दरअसल आर टी आई कार्यकर्ता धीरेन्द्र द्वारा फतेहगढ़ जिला जेल व कानपुर जिला जेल द्वारा बंदियों को उपलब्ध कराये जाने वाले खाद्यान के बाजार भाव सूचना के अधिकार के तहत मांगे थे. यह बाजार भाव जिले के विपणन निरीक्षक कार्यालय द्वारा उपलब्ध कराए जाते हैं| कानपुर और फर्रुखाबाद दोनों जेलों से प्राप्त सूचनाओं में खाद्यान के बाजार भाव में काफी अंतर पाया गया| अगर सही से जाँच हो जाये तो ये रकम करोडो तक पहुच सकती है|
घोटाले की शुरुआत विपणन विभाग से-
दरअसल विपणन निरीक्षक कार्यालय फर्रुखाबाद से जेल विभाग के कर्मचारियों द्वारा मिलीभगत कर खादान्य के बाजार भाव अपने मुताबिक रजिस्टर में भरवाए . इसी रजिस्टर में अंकित बाजार भाव के हिसाब से सरकार खरीदे गए खाद्यान का भुगतान करती है|
खाद्य विपणन विभाग के बड़े बड़े है शामिल इस खेल में-
यह खेल अभी से नहीं काफी लम्बे समय से खेला जा रहा है| आरटीआई के तहत जिला खाद्य विपणन अधिकारी फर्रुखाबाद से भी फतेहगढ़ जिला जेल को उपलब्ध कराए गए बाजार भाव से संभंधित कुछ सूचना मांगी गई थी लेकिन उनके द्वारा आर टी आई कार्यकर्ता को इसकी सुचना उपलब्ध नहीं कराई गई जिसकी अपील राज्य सूचना आयोग में लंबित है| इस पूरे प्रकरण में जिला खाद्य विपणन अधिकारी फर्रुखाबाद की भी सहमती है, उन्हें डर है की अगर वे खाद्यान से सम्बन्धित सूचना देगे तो उनके कार्यालय के कई अफसर व कर्मचारियों पर इस अनियमितता की गाज गिर सकती है|
करोडो के खेल पर ख़ामोशी क्यूँ?
पूरे प्रकरण पर कारवाही के लिये डीएम फरूखाबाद, संभागीय खाद्य नियंत्रक कानपूर मंडल, मंडलायुक्त कानपूर मंडल, कारागार सचिव उत्तर प्रदेश शासन, खाद्यायुक्त उत्तर प्रदेश शासन, व अतिरिक्त महानिरीक्षक कारागार उत्तर प्रदेश शासन को लिखा जा चुका है लेकिन 1 महीने से ज्यादा समय व्यतीत हो जाने के बावजूद अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है|