फर्रुखाबाद: जनता के टैक्स से चलती सरकार और उस सरकार की योजनाओ में राजनीती साधने की कोशिश हर कोई राजनीति करने वाला करता है| यही समाजसेवा है जो सरकार की योजना को आपके हाथ तक पंहुचा दे| कुछ लोग इसे दलाली की संज्ञा देते है यदि इसमें कुछ रिश्वतखोरी या सुविधाशुल्क का नाम जुड़ जाता है और बिना किसी स्वार्थ के यदि काम हो जाए तो समाजसेवा कहलाता है|
चुनाव के मद्देनजर ये जनसेवा होती है| पैसा जनता का ही होता है अलबत्ता आम आदमी को मिलता ऐसे है जैसे कोई एहसान किया जा रहा हो| सरकार चलाने वालो से लेकर सरकारी नौकर तक इसी मिजाज से काम करते है और कमोवेश देश का यही मिजाज बन गया है जिसे अन्ना हजारे और केजरीवाल जैसी ताकते बदल रही है| नया समाचार ये है कि समाजवादी पेंशन योजना के सहारे वोटरों को साधने की कवायद में भारी मुश्किल आ रही है| नियमावली तो खुली बैठके करके और नाम सार्वजानिक करके लाभार्थियों को पात्र बनाया जाना है| मगर ये बड़ा मुश्किल काम है| सत्ता के विरोध में वोट करने वालो को मिल गया तो काफी मुश्किलें चयनकर्ताओ वालो के लिए हो सकती है| कोई नेता शिकायत कर देगा तो साहब मुश्किल में पड़ सकते है| कोई नईबात नहीं है| सरकारे बदलती है, तरीका एक सा रहता है| लिहाजा नियम भी टूट रहा है और नियमावली भी| हाल ये है कि खुली बैठके सम्भव नहीं है| एक एक ग्राम सचिव के पास दर्जन भर गाँव का चार्ज है| और कहीं प्रधान दबंग है तो कहीं फलां पार्टी के सचिव ने सूची पहले ही बनबा दी है|
नगर में भी समाजवादी पेंशन योजना के लाभार्थियों के चयन का बड़ा रोचक मामला है| फार्म नगरपालिका परिषद् में भेजे गए और ख़त्म हो गए| सभासद परेशान है| उन्हें लग रहा है कि इस समाजसेवा का मौका उन्हें नहीं मिल पा रहा है| वे भी कुछ फार्म भरवा पाते तो अलगे चुनाव में उन्हें भी कहने के लिए कुछ हो जाता| कुछ सभासदों ने जिलाधिकारी से मुलाकात करके फार्म सभासदों को प्राप्त कराये जाने का अनुरोध किया है| आखिर अलगे निकाय चुनावों के लिए उन्हें भी तो अपना खाता बही बनाना है कि उन्होंने कितनो की पेंशन बनबा दी| समाजवादी पेंशन के फार्मो की गुहार लगाने वालो में सभासद संतकुमार बाथम, राजूपाल, श्रीनिवास बाथम सहित आधा दर्जन मुख्यालय पहुचे थे| अपर जिलाधिकारी ने अधिशासी अधिकारी के लिए मार्क कर दिया-“अधिशासी अधिकारी- फार्म उपलब्ध करा दिए जाए”|