फर्रुखाबाद: जब प्रदेश में नेता विधानमंडल रह चुके और वर्त्तमान में नेता विरोधी दल स्वामीप्रसाद मौर्या ये कहे कि उन्हें विधान परिषद् के क्षेत्रो के बारे में ज्ञान नहीं तो जनता को समझ लेना चाहिए कि बसपा में कितने काबिल नेता है| दरअसल ने स्वामी प्रसाद मौर्या फर्रुखाबाद में बसपा प्रत्याशी के समर्थन में शाक्य समाज के चुनावी सम्मेलन में सभा को सम्बोधित करने पहुचे थे| सभा स्थल पर पत्रकारो ने उनसे पूछ लिया कि आचार संहिता लगी होने के बाबजूद वे लाल बत्ती वाली सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल नहीं कर सकते तो उन्होंने जबाब दिया कि उन्हें नहीं मालूम कि आगरा परिक्षेत्र स्नातक में फर्रुखाबाद जनपद भी आता है| जबकि अपने सियासी काल में स्वामी प्रसाद मौर्या सबसे ज्यादा विधान परिषद् के ही सदस्य रहे है|
स्वामी प्रसाद मौर्या ने पत्रकारो के टोकने के बाद लालबत्ती वाली सरकारी कार छोड़ दी और लालबत्ती भी ढकवा दी| मगर इससे बड़ा सवाल ये है कि दूसरो को नैतिकता का पथ पढ़ाने वाले और दूसरे दलो को भष्टाचार के मुद्दो पर कोसने वाले राजनैतिक सभाओ के लिए सरकारी इस्तेमाल क्यों कर रहे है| क्या जनता के पैसे से राजनैतिक दल के लिए चुनाव प्रचार करना भ्रष्टाचार की श्रेणी में नहीं आता| निगमो के अध्यक्षो को बाटी गयी लाल बत्ती में सपा के नेता भी आजकल यही कर रहे है तो बसपा और सपा के नेताओ में अंतर क्या है?