लेखपालो ने डम्प किये आवेदन पत्र, ई-गवर्नेंस में 5 दिन से कोई प्रमाण पत्र जारी नहीं

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corruptionफर्रुखाबाद: अखिलेश यादव और उनके मंत्री भले ही मंचो पर सार्वजनिक रूप से तहसील और थानो की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हो मगर लगता है कि जमीनी कोई काम नहीं करते| क्योंकि सवाल तो परिणाम पर उठता है कि लोग फेल क्यों हुए| हाल कुछ तहसील सदर का ऐसा ही है| पिछले 5 दिन से आय जाति और निवास का एक भी प्रमाण पत्र जारी नहीं हुआ है| तहसील के ई गवर्नेंस सेंटर से जानकारी पर ज्ञात हुआ कि पञ्च दिन से किसी भी लेखपाल ने एक भी आवेदन पर रिपोट जमा नहीं की है|
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लगता है कि सपा सरकार एक बार फिर से जातीय सम्मेलनो के सहारे चुनाव की नैया पार लगाने के भ्रम में है| तभी तो सरकारी अमला जनता के काम से आँखे फेरे है और सरकार के मंत्री जनता की मूल समस्या सुनने की जगह लाल बत्तियो में घूम कर जटिया सम्मेलनो में भीड़ जुटाकर 2014 में मुलायम सिंह यादव को प्रधानमंत्री बनाने के लिए वोट अपील कर रहे है|
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डील और रिश्वत के इन्तजार में लगभग 250 से ज्यादा आय जाति और निवास के आवेदन पत्र समय सीमा बीत जाने के बाद भी लेखपालो ने तहसील में रिपोर्ट लगाकर जमा नहीं किये है| लेखपालो के दलाल/सहायक इन आवेदनो को लेकर घर घर घूम घूम कर रिश्वत की मांग करते है| और रिश्वत न मिलने पर अंतिम समय तक इन आवेदनो को रोके रहते है| नगर में तैनात एक भी लेखपाल खुद तो भौतिक सत्यापन करने जाता नहीं है| वसूली सहायको और दलालो से कराते है ताकि रिश्वतखोरी पकड़ी न जा सके| मगर पिछले एक साल में जागरूक हुई जनता से रिश्वत वसूल लेना अब आसान नहीं रह गया है लिहाजा उसका काम लेट होने लगा है| विधायक से लेकर मंत्री तक इस समस्या को न उठाते है और न हल कराने में कोई रूचि रखे है|
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तहसील सदर में कल तक 367 आवेदन आय के, लगभग 350 आवेदन जाति के और 600 से ज्यादा आवेदन निवास के लेखपालो के पास रिपोर्ट लगाने के लिए लंबित है| इसमें 70 प्रतिशत आवेदन नगर के 4 लेखपालो के पास लंबित है| इन आवेदनो में से लगभग 250 आवेदन समय सीमा से ज्यादा समय से लेखपालो ने डम्प कर रखे है| लेखपालो को रिपोर्ट लगाने के लिए अधिकतम समय 7 दिन का शासनादेश में प्रावधानित है|

कुल मिलकर ई गवर्नेंस में भी जनता को रिश्वतखोरी से निजात नहीं मिल पा रही है| जनता से बातचीत में पता लगता है कि इसका खामियाजा वर्त्तमान सपा सरकार को भुगतना पड़ सकता है| रिश्वतखोरी में कोई जाति धर्म का भेद नहीं होता| रिश्वत ब्राह्मण से लेकर विश्वकर्मा समाज से वसूली जा रही है| कहीं ऐसा न हो कि मंत्री जातीय सम्मेलनो के भरोसे बने रहे और रिश्वतखोरी लुटिया डुबो दे|