.और भी हैं सादगीपूर्ण जिंदगी जीने वाले सीएम

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CMअरविंद केजरीवाल (45) :आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और दिल्ली में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे अरविंद केजरीवाल ने जेड सुरक्षा लेने से इन्कार कर दिया है। उन्होंने अपनी गाड़ी में लालबत्ती लगाने से भी इन्कार किया है। देश में ऐसे कई अन्य प्रमुख नेता भी हैं जो सरकारी लाव-लश्कर के बजाय सादगी भरा जीवन व्यतीत करते हैं :

एन रंगास्वामी (61): पुडुचेरी के मुख्यमंत्री और आल इंडिया एनआर कांग्रेस नेता एन रंगास्वामी रोज सुबह उठने के बाद नुक्कड़ पर जाकर अपने बचपन के दोस्त की दुकान पर जाकर चाय पीते हैं। अखबार पढ़ते हैं और लोगों से विभिन्न मसलों पर बातचीत करते हैं। उसके बाद कार के बजाय अपनी यामाहा बाइक पर सैर के लिए निकलते हैं। लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं के तत्काल निपटारे की कोशिश करते हैं। वहां से लौटने के बाद नाश्ता कर ऑफिस जाते हैं। करीब दोपहर तीन बजे लंच के लिए घर लौटते हैं। शाम करीब सात बजे वापस ऑफिस जाते हैं। बाल कटाने के लिए नाई की दुकान पर खुद जाते हैं। अपने कपड़े खुद खरीदते हैं। किसी भी सरकारी तामझाम से दूर मिलनसार और आसानी से उपलब्ध होने वाले मुख्यमंत्री हैं। सादगी, निष्पक्षता और पारदर्शिता उनकी पार्टी का नारा है। यही उनकी लोकप्रियता का मुख्य कारण भी है। अविवाहित हैं और उनके घर में मामूली सामान है। वह रात में फर्श पर चटाई बिछाकर सोते हैं।

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मनोहर पार्रिकर (58) : गोवा के मुख्यमंत्री और भाजपा के नेता है। बेदाग छवि और भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम के लिए जाने जाते हैं। बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के यात्रा करते हैं। अपने ही घर में रहते हैं और सरकारी आवास को दफ्तर के रूप में बदल दिया है। अपनी सुरक्षा और यात्रा के नाम पर सरकारी धन की बरबादी में यकीन नहीं करते। चार्टर्ड फ्लाइट के बजाय नियमित एयरलाइन में ही ईकोनॉमी क्लास में सफर करते हैं।

ममता बनर्जी (58)
:जेड प्लस सुरक्षा होने के बावजूद बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कभी भी लालबत्ती लगी बुलेट प्रूफ कार से नहीं चलती हैं और न ही घर से दफ्तर या फिर अन्य स्थानों पर जाने के लिए गाड़ियों का लंबा-चौड़े काफिला साथ होता है। कोलकाता के कालीघाट के हरिश चटर्जी स्ट्रीट स्थित अपने आवास से ऑफिस जाते समय किसी भी चौराहे पर ट्रैफिक सिग्नल लाल होते ही बगल में खड़ी काले रंग की सैंट्रो कार पर निगाह पड़ते ही लोग चौंक पड़ते हैं। डब्ल्यूबी-02यू-4397 नंबर की एक पुरानी छोटी कार की अगली सीट पर ममता बैठी रहती हैं। यह नजारा आए दिन लोगों को देखने को मिलता है। वह बंगाल की एक ऐसी मुख्यमंत्री हैं जिनका काफिले को गुजारने के लिए न तो पहले सड़कें खाली कराई जाती है और न ही सामने सायरन बजाते हुए पुलिस की पायलट कार चलती है। मुख्यमंत्री बनने से पहले रेलमंत्री रहते हुए भी ममता की सुरक्षा में कभी भी ताम-झाम नहीं रहा।