तहसील दिवस: इतना सन्नाटा क्यों है भाई…

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TAHSILDIVAS FARRUKHABADफर्रुखाबाद: 37 साल पहले की फ़िल्म शोले का दृश्य| अंधे बुजुर्ग का रोल कर रहे अभिनेता एके हंगल के बेटे की लाश एक घोड़े पर लड़ी हुई गाव में आती है और दुःख और आश्चर्य के उस दृश्य में ए के हंगल का वो डायलाग- “इतना सन्नाटा क्यों है भाई” हाल में बैठे दर्शको की आँखों से आंसू निकलने पर मजबूर कर देता है| कुछ ऐसा ही सन्नाटा फर्रुखाबाद की सदर तहसील में तहसील दिवस में दिखाई पड़ रहा था| मगर यहाँ दर्शक नहीं थे केवल अभिनय करने वाले कुछ कर्मचारी जरुर नजर आ रहे थे| कोई ऐसा फरियादी भी नहीं था जिससे आंसू निकलने जैसी स्थिति बनती हो| नगर सरकार या सरकारी अफसरानों की जनता के प्रति ये बेरुखी अगले चुनाव में सरकार के आंसू जरुर निकाल सकती है| आखिर ऐसी स्थितियां क्यों है? क्या प्रदेश के मुखिया तक ये बात पहुचने के लिए जिले में उनकी पार्टी का कोई एक भी कार्यकर्ता नहीं बचा| या फिर सभी पार्टी कार्यकर्ताओ के काम समय से हो रहे है इसलिए चिंता की कोई बात नहीं| दोपहर हो चली है सदर तहसील में कोई अफसर तहसील दिवस में सामने के मंच पर नहीं दिखायी दिया| पंजीकरण काउंटर पर भी इक्का दुक्का फरियादी ही दिखे तो सवाल उठा- “कि लगता है रामराज आ गया”|

TAHSIL DIVASतहसील सदर फर्रुखाबाद में तहसील दिवस पर जनता से रूबरू होने के लिए आज कोई बड़ा अफसर नहीं पहुच पाया| जिलाधिकारी मंडलायुक्त के साथ कायमगंज में थे| उनका आज का टर्न भी कायमगंज तहसील का था| अपर जिलाधिकारी अमृतपुर तहसील में अपनी जिम्मेदारी निभाने गए| एसडीएम् सदर साहब लखनऊ मीटिंग में| और अब बचे तहसीलदार सदर साहब| तो पहले वे डाक बंगले में रुके सरकारी वीआईपी के परिवार लिए इंतजाम करने गए उसके बाद 2 घंटे देरी से तहसील दिवस पहुच पाये| यानि जनता के लिए बना अमला जनता के काम से ज्यादा अपने अफसरो के इंतजाम में लगा रहा| और तहसील दिवस में दिखा- “इतना सन्नाटा क्यों है भाई” | वैसे भी तहसील दिवस में की गयी गम्भीर शिकायतो पर कितनी ही बार फर्जी निरस्तारण की मुहर देख जनता भी अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहती| मन में कोस के रह जाती है, इनकी तो नौकरी पक्की है उन्हें अगले चुनाव में देख लेंगे, यह बुदबुदाती हुई निराश होकर वापस चली जाती है|[bannergarden id=”11″][bannergarden id=”8″]