मोदी के बारे में सोचूं या जनता के: केजरीवाल

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ashutosh kejarivalनई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में नए नवेले राजनीतिक दल आम आदमी पार्टी ने चौंकाने वाली कामयाबी हासिल की है। कैसे मिली आप को ये कामयाबी, क्या हैं इसके मायने और क्या हैं केजरीवाल के आगे की योजना इन सारे सवालों पर आईबीएन7 के मैनेजिंग एडिटर आशुतोष ने आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल से एक्सक्लूसिव बातचीत की।
साभार- IBN7
आशुतोषः आप खुश हैं चुनाव के नतीजों से?
अरविंद केजरीवालः मेरी खुशी उतनी महत्वपूर्ण नहीं है। मैं समझता हूं कि आज एक बहुत बड़ी घटना घटी है इस देश में। एक नई किस्म की राजनीति स्थापित हुई है। इस देश का आम आदमी परेशान हो चुका था महंगाई से, भ्रष्टाचार से। हमारी पार्टी में कौन लोग जीते हैं, जैसे राखी बिरला जीती हैं। कौन हैं राखी बिरला, कौन जानता है। सामान्य से लड़की, पत्रकार थी, उसने राजकुमार चौहान को हराया, कितना बड़ा मंत्री। अंबेडकर नगर से अशोक चौहान जीते हैं। कौन हैं अशोक चौहान, उऩ्होंने चौधरी प्रेमसिंह को हराया है जो 40 साल से जीत रहे थे। मॉडल टाउन से अखिलेश मनी त्रिपाठी जीते हैं। वो कौन हैं, सिविल सर्विसेज की तैयारी करने आए थे। ये सारे आम आदमी थे, आम लोग थे। इनके बारे में मीडिया वाले कहते थे कि इनके कैंडीडेट को तो अनुभव ही नहीं है। मैं ये कहना चाहता हूं कि इस देश का आम आदमी जब खड़ा हो जाता है ना, तो बड़े-बड़े सिंहासन डोल जाते हैं। आज इस देश में बड़े-बड़े सिंहासन डोले हैं। मेरे बारे में कहा जाता है कि मैं 26 हजार वोटों से जीता। ये मेरी जीत थोड़े ही है, ये जीत का अंतर दिखाता है कि जनता के मन में कितना गुस्सा था। कितनी ज्यादा दुखी हो चुकी थी जनता। आज तक विकल्प नहीं था लोगों के पास। वही बीजेपी-वही कांग्रेस लेकिन पहली बार ईमानदार विकल्प मिला देश को। ये चुनाव परिणाम एक तरफ उम्मीद दिखाता है और दूसरी तरफ गुस्सा दिखाता है।

आशुतोषः तो आपने आम आदमी को खास आदमी बना दिया…?

अरविंद केजरीवालः इस देश के आम आदमी को खास आदमी बना दिया और ये जितने तथाकथित वीवीआईपी थे न, इनके सबके आज आम आदमी ने सिंहासन हिला दिए।

आशुतोषः पर अरविंद आप विपक्षी पार्टी के तौर पर उभरे हैं। सरकार नहीं बनी इसलिए थोड़ी बहुत निराशा हो सकती है?

अरविंद केजरीवालः हमें उम्मीद थी कि सरकार बनेगी। उस हद तक थोड़ी बहुत निराशा जरूर हो सकती है। लेकिन मेरा अपना ये मानना है कि एक नई किस्म की राजनीति की शुरुआत हुई इस देश में, ये एक बहुत बड़ी बात हुई। एक ठोस घटना घटी। अब एक ही दिन में सारी चीजें नहीं मिल जातीं। यहां से इस पूरी मुहिम को आगे ले जाया जाएगा। आज दिल्ली की जनता ने देश को एक बहुत बड़ी आशा की किरण दी है। एक पौधा फला है और अब इस पौधे को हमको सींचना है। इस देश के लोगों को अब साथ आना पड़ेगा। देश को, जनता को एक बहुत बड़ी उम्मीद मिली है और इस देश के सारे ऐसे लोग जो अच्छा भारत चाहते हैं, सुंदर भारत चाहते हैं, भ्रष्टाचार मुक्त भारत चाहते हैं, उनको इकट्ठा होना पड़ेगा।

आशुतोषः आप दिल्ली में सरकार बनाने के लिए किसी को किसी तरह का कोई सहयोग देने को तैयार नहीं हैं?

अरविंद केजरीवालः कैसे दें सहयोग।
आशुतोषः अगर आपको सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाता है तो क्या आप सरकार बनाने की कोशिश करेंगे?

अरविंद केजरीवालः हमारे पास तो बहुमत ही नहीं है। हम किसी का सहयोग लेंगे नहीं इसलिए हम सरकार नहीं बना सकते।

आशुतोषः तो क्या जब आपको पूर्ण बहुमत मिलेगा तभी आप सरकार बनाएंगे?

अरविंद केजरीवालः जी बिल्कुल, हम ये जोड़तोड़ की राजनीति करने नहीं आए। सत्ता की राजनीति नहीं करने आए। सत्ता हथियाने और सत्ता पाने नहीं आए। इस देश की राजनीति बदलने के लिए आए हैं। अपने करियर छोड़कर आए हैं यहां, करियर बनाने नहीं आए।

आशुतोषः लेकिन बीजेपी-कांग्रेस साथ आएंगे नहीं, आप किसी के साथ जाएंगे नहीं…
अरविंद केजरीवालः कांग्रेस कर सकती हैं बीजेपी को सहयोग। दोनों की विचारधारा समान है। दोनों भ्रष्टाचार करते हैं। दोनों सांप्रदायिकता करते हैं। दोनों अपराध करते हैं। दोनों का सबकुछ मिलता है। पीठ पीछे दोनों में अच्छी सैटिंग है। सीक्रेट मीटिंग होती हैं। इसबार खुलकर ही आ जाओ साथ।

आशुतोषः…लेकिन उसकी संभावना बहुत कम नजर आती है?
अरविंद केजरीवालः आप थोड़ा सा इनकी बेशर्मी पर भरोसा रखिए। देखो अभी तीन-चार दिन में क्या जोड़तोड़ करते हैं ये लोग।

आशुतोषः दिल्ली में अगर सरकार नहीं बनती तो आप क्या चाहेंगे। क्या फिर चुनाव हो?
अरविंद केजरीवालः अगर फिर चुनाव होते हैं तो बड़ी बात नहीं है। हो सकते हैं दोबारा चुनाव। देश को बदलने के लिए, ईमानदार राजनीति स्थापित करने के लिए अगर दोबारा चुनाव होता है तो होने चाहिए। कुछ लोग मुझे कहते हैं कि फिर से चुनाव में खर्चा आएगा। मैंने जोड़ा था कितना खर्चा आएगा, 50 करोड़, सौ करोड़। इतना ही एक राज्य में चुनाव का खर्च आता है लेकिन ये तो एक कांट्रैक्ट में ही 500 करोड़ खा जाते हैं।

आशुतोषः आप दोबारा चुनाव के लिए तैयार हैं?
अरविंद केजरीवालः हम तैयार हैं, जनता तैयार है। हम कौन हैं। हम बहुत छोटे लोग हैं। अरविंद केजरीवाल की कोई औकात नहीं है। हम दबे कुचले, भ्रष्टाचार से त्रस्त लोग हैं। इस देश की जनता, आम आदमी इसलिए खड़ा हो गया है क्योंकि पहली बार उसे एक ईमानदार राजनीतिक विकल्प मिला है।

आशुतोषः सरकार बनाने के लिए बहुत जोड़तोड़ होगी। आपको अपने विधायकों पर भरोसा है कि वो टूटेंगे नहीं?

अरविंद केजरीवालः जी, सौ फीसदी। सारे देश के लिए आए हैं।

आशुतोषः लेकिन सत्ता भ्रष्ट कर देती है। आपके विधायकों से पहले से ही कांट्रैक्ट करने की कोशिश की जा रही है।

अरविंद केजरीवालः लेकिन अभी तक कोई नहीं टूटा। सबने हमें बता दिया कि उनसे संपर्क करने की कोशिश की गई थी।

आशुतोषः किसी तरह का लालच दिया जाएगा, करोड़ों रुपये दिए जाएंगे, पेटियां खोली जाएंगी, क्या तब भी?

अरविंद केजरीवालः कइयों ने मुझे बताया कि बीजेपी वाले आए थे। लेकिन हमारे नेताओं ने उनसे बोला कि हम देश के लिए आए हैं यहां, सर कटा देंगे लेकिन पैसे नहीं लेंगे तुमसे।

आशुतोषः तो आप उन तमाम सुविधाओं का इस्तेमाल करेंगे जो विपक्ष का नेता होते हुए मिलती हैं जैसे लाल बत्ती, बंगला?

अरविंद केजरीवालः न तो मैं कोई लालबत्ती लूंगा, न कोई बड़ा बंगला लूंगा और न मैं सिक्योरिटी लूंगा। इसका हलफनामा मैंने जमा कराया है और उसकी कॉपी अपनी विधानसभा के हर घर में पहुंचाई है। अगर मैं कुछ लूंगा तो जनता उस हलफनामे को सामने कर देगी कि आपने ये वादा किया था।

आशुतोषः आपके तमाम विधायकों पर भी ये नियम लागू रहेगा?
अरविंद केजरीवालः जी हां।

आशुतोषः विधानसभा चुनाव आपने लड़ लिया है। सिर्फ दिल्ली तक सीमित रहेंगे या बाहर भी निकलेंगे?

अरविंद केजरीवालः देखिए भ्रष्टाचार तो पूरे देश में है। आज जो हुआ है वो ये है कि दिल्ली के लोगों ने देश के लोगों को एक दिशा दी है। और ये बहुत बड़ी बात है। तो देश से भ्रष्टाचार दूर करना है। ये काम अरविंद केजरीवाल नहीं कर सकता। लोगों को सबको इकट्ठा होना पड़ेगा।

आशुतोषः इसका मतलब ये हुआ कि अरविंद केजरीवाल 2014 का लोकसभा चुनाव भी लड़ेंगे और उसकी तैयारी करेंगे?
अरविंद केजरीवालः कैसे करेंगे, कब करेंगे कितना करेंगे ये पार्टी निर्णय लेगी।

आशुतोषः आप ही तो पार्टी हैं?

अरविंद केजरीवालः नहीं ऐसा नहीं है। बहुत बड़े-बड़े लोग हैं। योगेंद्र यादव हैं, प्रशांत भूषण हैं, संजय सिंह हैं, गोपाल राय हैं। जितना आपको लगता है न, मेरी उतनी चलती नहीं है पार्टी में। बहुत बड़े बड़े लोग हैं, डांट देते हैं मुझको, चुप करा देते हैं।
आशुतोषः आपको कोई डांट सकता है।
अरविंद केजरीवालः हां बिल्कुल, बहुत डांटते हैं।

आशुतोषः लोग कहते हैं कि दिल्ली का चुनाव लड़ना आसान था लेकिन एमपी, राजस्थान में जहां एक सीट पर एक छोर से दूसरे छोर जाना ही मुश्किल है, काफी पैसा, समय खर्च होता है उसमें। वहां कैसे ये सब होगा?

अरविंद केजरीवालः 350 जिलों में आम आदमी पार्टी की यूनिट बन चुकी हैं। अगर चुनाव अरविंद केजरीवाल का होता तो हमें हर जगह जाना होता लेकिन ये चुनाव जनता का चुनाव है। दिल्ली में भी इसको हमने जनता का चुनाव बनाया था। जनता चुनाव लड़ी थी। हमारे वॉलंटियर कोई पैसे देकर लाए कार्यकर्ता नहीं थे। इनको अरविंद केजरीवाल से प्यार नहीं था। इनको सबको आशा की किरण नजर आई थी। अपनी नौकिरयां छोड़कर लोग आए। जिस तरह से दिल्ली की जनता चुनाव लड़ी थी, उसी तरह देश की जनता चुनाव लड़ेगी।

आशुतोषः आपको उम्मीद है कि दिल्ली जैसा सपोर्ट आपको देश में भी मिलेगा?

अरविंद केजरीवालः देखिए उम्मीद तो देश की जनता ही है। देश की जनता कब खड़ी होगी, कैसे खड़ी होगी ये तो समय बताएगा। लेकिन इस देश को आज एक ही आदमी बचा सकता है और वो है आम आदमी।

आशुतोषः इस चुनाव में ये बात सामने आई कि आप के समर्थकों का आधा हिस्सा नरेंद्र मोदी को पीएम पद पर देखना चाहता है?
अरविंद केजरीवालः देखने दीजिए। क्या फर्क पड़ता है। अभी देख रहे हैं न। आज एक नई राजनीति की शुरुआत हुई है। ये राजनीति देश में वैकल्पिक राजनीति शुरू करेगी। बहुत बड़ी बात हुई है सर। थोड़ा सा समय दीजिए।

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आशुतोषः यानी जो मोदी के समर्थक हैं वो आपके भी समर्थक हैं?

अरविंद केजरीवालः सर ये मोदी और राहुल की राजनीति किसने बनाई, आप मीडिया ने। एक आम आदमी के घर चले जाओ आप, उसे तो दूध की राजनीति दिखती है, अपने बच्चों की शिक्षा की राजनीति दिखती है, सड़क की राजनीति दिखती है। वो कहता है कि बिजली का बिल नहीं भर पा रहा हूं। उसे क्या लेना देना राहुल से, क्या लेना देना मोदी से। वो तो आप ही लोगों की टीवी डिबेट की राजनीति है।
आशुतोषः आपकी अपनी राय नरेंद्र मोदी जी के बारे में क्या है?
अरविंद केजरीवालः मैं उनके बारे में क्यों सोचूं। उनके बारे में सोचूं या देश की जनता के बारे में। हमारे नेता जाति, धर्म आदि के नाम पर जहर घोलने की राजनीति करते हैं। तोड़ने की राजनीति करते हैं। हम लोगों को जोड़ने की राजनीति करते हैं। वो जहर फैलाते हैं और हम प्यार-मोहब्बत का पैगाम लेकर जाते हैं। मुझे मोदी-राहुल सारे नेता एक जैसे लगते हैं।