फर्रुखाबाद के 300 वर्ष: तहसील की जगह था अंग्रेजों का अस्तबल

Uncategorized

FARRUKHABAD : दीपक शुक्ला – जहां आज करोड़ों रुपये लगाकर सरकार ने एक भव्यमयी इमारत का निर्माण तहसील के लिए करवाया। उससे पूर्व सदर तहसील की जगह पर घोड़ों का अस्तबल हुआ करता था। इतिहास के पन्नों को अगर झांकें तो अभी नई तहसील बनने से पूर्व तहसील के मुख्य द्वार पर एक बहुत बड़ा गेट लकड़ी का लगा है और बनावट भी पुराने समय की थी। दर असल नगर पालिका के अभिलेखों में झांक कर देखें तो 1872 से लेकर 1900 के खसरे में अस्तबल तराई और बहादुरगंज तराई नाम के दो मोहल्ले अंकित हैं।tahseel diwas

[bannergarden id=”8″][bannergarden id=”11″]

अस्तबल तराई को वैसे घोड़ों का अस्तबल कहते हैं, जहां अंग्रेजों और नबाबों ने अपना अस्तबल बना रखा था। जिस पर बाद में तहसील का काम शुरू हुआ और फिर प्रदेश सरकार ने उस खण्डहर भवन को तुड़वाकर नई भव्य इमारत तहसील के लिए तैयार करा दी।