FARRUKHABAD : जनपद के एआरटीओ विभाग में ड्राइविंग लाइसेंस व फर्जी रजिस्ट्रेशनों की जांच के लिए पहले से ही सीबीआई द्वारा जांच की जा रही है। जिस मामले में एआरटीओ कानपुर द्वारा विभाग के ही चार लिपिकों के खिलाफ फतेहगढ़ कोतवाली में एफआईआर भी दर्ज करायी गयी है। इतने सारे जरूरी कागजात व फाइलें गायब होने के बाद भी विभाग अभी भी चेतता नजर नहीं आ रहा है। जरूरतमंदों द्वारा दिये गये लाइसेंस बनवाने के आवेदनों को ड्राइविंग लाइसेंस बनाने से पहले ही रद्दी बना दिया। वहीं अपने लाइसेंस पाने के लिए लोग कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं।
पिछले वर्ष से ही विवादों के घेरे में फंसा एआरटीओ कार्यालय में भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा अभी भी साफ नजर आ रही है। बीते 15 दिनों से राज्य कर्मचारियों की हड़ताल के चलते एआरटीओ कार्यालय में कोई भी कार्य नहीं किया गया। बीते दिन जब हड़ताल समाप्त हुई तो दूर दराज से लोग अपने अपने कार्यो के लिए विभागीय कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हो गये। लेकिन विभाग के लिपिक अभी भी कार्यालय से नदारद हैं।
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वहीं कार्यालय में लगभग एक माह पूर्व जमा किये गये ड्राइविंग लाइसेंस के फार्मों को रद्दी की भांति डाल दिया गया है। सैकड़ों फार्म धूल फांकने लग गये हैं लेकिन जरूरतमंदों को अभी लाइसेंस नहीं मिल पाया है।
सोमवार को इस सम्बंध में जब जेएनआई रिपोर्टर द्वारा हकीकत जानी गयी तो पता चला कि छोटे वाहन रजिस्ट्रेशन/ट्रांसफर पटल देख रहे लिपिक प्रभात कुमार जोकि इटावा के निवासी हैं अभी तक ड्यूटी पर नहीं आये। यही हाल रहा तो एआरटीओ कार्यालय का भ्रष्टाचार कम होने के बजाय और अधिक बढ़ता ही जायेगा।
वहीं जरूरतमंद लोग एआरटीओ कार्यालय के बाहर बैठे दलालों को औने पौने रुपये देकर अपना काम करवा रहे हैं। जिससे जनपद में फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस व रजिस्ट्रेशन का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है।
वहीं एआरटीओ उदयवीर सिंह ने बताया कि सभी लोग हड़ताल पर चले गये थे। अब काम शुरू हो गया है। जल्द ही सभी के कार्य समय से निबटाने का प्रयास किया जायेगा।