व्यक्ति के अंदर शील, दया, धर्म और सेवा का भाव आवश्यक: पण्डित अखिलेश चन्द्र

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FARRUKHABAD: 16वें मानस सम्मेलन के पांचवें दिन राम कथा का रसपान पहुंचे श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए पण्डित अखिलेशचन्द्र उपाध्याय ने कहा कि व्यक्ति वही है जिसके अंदर शील, दया, धर्म और सेवा का भाव हो।dance

श्रोताओं को कथा श्रवण कराते हुए पण्डित अखिलेशचन्द्र उपाध्याय ने समाज और व्यक्ति के असली आइने को वर्णन करते हुए कहा कि समाज को उसमें रहने वाले लोगों की सुख समृद्धि को हमेशा ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कथा श्रवण कराते हुए राम राज्य की स्थापना व भगवान श्री राम के शील, धैर्य, चरित्र व मर्यादा पर बारीकी से प्रकाश डाला।
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उन्होंने कहा कि शील, धैर्य और मर्यादा में राम सर्वोपरि थे। उन्होंने हमेशा समाज को मानवता और मर्यादा का पाठ पढ़ाया। इस दौरान अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे। वक्ता शिरोमणि शर्मा के कथा वाचन के समय पण्डित सर्वेश शुक्ला व अन्य कलाकारों ने वाद्य यंत्रों से कथा को और भी संगीतमय बना दिया।

सांयकालीन बेला में श्री राम रामलीला संस्थान वृंदावन मथुरा से आये लेखराज शर्मा, ओमप्रकाश शर्मा के नेतृत्व में श्री राधा और कृष्ण का बृह्रमा जी के द्वारा सम्पन्न विवाह उत्सव की लीला एवं श्रीकृष्ण की माखन चोरी की दिव्य लीला के अध्यात्मिक अनुभूति के दर्शन कराये। इस दौरान भारत सिंह, वीके सिंह, ओमवती गुप्ता, शकुंतला कनौजिया, प्रमोद कनौजिया, वेद प्रकाश, ओमवती गुप्ता, निर्मल सिंह, वेद प्रकाश आदि लोग लोग मौजूद रहे।