करवा चौथ दिनांक: 22 अक्टूबर.2013 को , करवा चौथ सुहागिनों का महत्वपूर्ण त्योहार माना गया है। करवाचौथ के अवसर पर इस वर्ष चन्द्रमा अपनी प्रिय पत्नी रोहिणी के साथ होगा|
करवा चौथ 2013 दिनांक: 22 अक्टूबर.2013 को
करवा चौथ पूजा मुहूर्त = १७:३८ से १८:५५ शाम को ५ बजकर ३८ िमनट से शाम ६ बजकर ५१ िमनट तक अवधि = १ घण्टा १७ मिनट
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ = २२/अक्टूबर/२०१३ को ०७:०६ बजे से
चतुर्थी तिथि समाप्त = २३/अक्टूबर/२०१३ को ०८:५१ बजे तक
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इस बार कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को पड़ने वाले करवा चौथ पर विशेष योग बन रहे हैं. चंद्रमा की 27 पत्नियां मानी जाती हैं. इनकी सभी पत्नियां नक्षत्र हैं. सभी पत्नियों में चन्द्रमा को रोहिणी सबसे प्रिय हैं. करवाचौथ के अवसर पर इस वर्ष चन्द्रमा अपनी प्रिय पत्नी रोहिणी के साथ होगा. जिससे चन्द्रमा का दर्शन अति कल्याणकारी होगा. चन्द्र रोहिणी के संयोग के साथ इस वर्ष मार्कंडेय और सत्यभामा योग भी बन रहा है, जिससे इस वर्ष करवा चौथ का महत्व कुछ और बढ़ गया है. माना जाता है कि यही विशिष्ट योग उस समय बना था जब भगवान श्री कृष्ण और सत्यभामा का मिलन हुआ था. चंद्रमा को अघ्र्य देते समय यदि महिलाएं सत्यभामा, मार्कंडेय और रोहिणी को भी अघ्र्य प्रदान करेंगी, तो उनका दांपत्य जीवन और भी प्रेम और सद्भाव बढ़ेगा. करवा चौथ के दिन स्त्रियों को श्रीकृष्ण की पत्नी रुक्मिणी को याद करते हुए रुक्मिणी मंगल का पाठ करना चाहिए.
करवा चौथ सुहागिनों का महत्वपूर्ण त्योहार माना गया है। इस पर्व पर सुहागिन महिलाएं हाथों में मेहंदी रचाकर, चूड़ियां पहनकर व सोलह श्रृंगार कर अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूजा कर व्रत का पारायण करती हैं। सुहागिन या पतिव्रता स्त्रियों के लिए करवा चौथ बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत कार्तिक कृष्ण की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है।
सरगी
करवा चौथ में सरगी का काफी महत्व है. सरगी सास की तरफ से अपनी बहू को दी जाती है. इसका सेवन महिलाएं करवाचौथ के दिन सूर्य निकलने से पहले तारों की छांव में करती हैं. सरगी के रूप में सास अपनी बहू को विभिन्न खाद्य पदार्थ एवं वस्त्र इत्यादि देती हैं. सरगी, सौभाग्य और समृद्धि का रूप होती है. सरगी के रूप में खाने की वस्तुओं को जैसे फल, मीठाई आदि को व्रती महिलाएं व्रत वाले दिन सूर्योदय से पूर्व प्रात: काल में तारों की छांव में ग्रहण करती हैं. तत्पश्चात व्रत आरंभ होता है. अपने व्रत को पूर्ण करती हैं.
करवा चौथ व्रत विधि:-
– करवा चौथ की आवश्यक संपूर्ण पूजन सामग्री को एकत्र करें।
– व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें- ‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।’
– पूरे दिन निर्जला रहें।
– दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्रित करें। इसे वर कहते हैं। चित्रित करने की कला को करवा धरना कहा जाता है।
– आठ पूरियों की अठावरी बनाएं, हलुआ बनाएं, पक्के पकवान बनाएं।
– पीली मिट्टी से गौरी बनाएं और उनकी गोद में गणेशजी बनाकर बिठाएं।
– गौरी को लकड़ी के आसन पर बिठाएं, चौक बनाकर आसन को उस पर रखें, गौरी को चुनरी ओढ़ाएं, बिंदी आदि सुहाग सामग्री से गौरी का श्रृंगार करें।
– जल से भरा हुआ लोटा रखें।
– वायना (भेंट) देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लें। करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें। उसके ऊपर दक्षिणा रखें।
– रोली से करवा पर स्वस्तिक बनाएं।
– गौरी-गणेश और चित्रित करवा की परंपरानुसार पूजा करें। पति की दीर्घायु की कामना करें।
‘नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥’
– करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें।
– कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपनी सासुजी के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें।
– तेरह दाने गेहूं के और पानी का लोटा या टोंटीदार करवा अलग रख लें।
– रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें।
– इसके बाद पति से आशीर्वाद लें। उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें।
पूजन के पश्चात आस-पड़ोस की महिलाओं को करवा चौथ की बधाई देकर पर्व को संपन्न करें।
करवा चौथ एक दिन का त्योहार होता है जिसमे विवाहित महिलाएँ सूर्योदय से चन्द्रोदय तक व्रत रखती हैं। इस व्रत को करने से पतियों की भलाई, समृद्धि और लम्बी उम्र की कामना की जाती है। करवा चौथ उत्तरी भारतीय प्रदेशों में ज्यादा प्रसिद्ध है।
करवा चौथ के दिन सक्त उपवास रखा जाता है और ज्यादातर महिलाएँ पूरे दिन पानी तक का सेवन नहीं करती हैं। व्रत को चन्द्र दर्शन के बाद ही तोड़ा जाता है।
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ = २२/अक्टूबर/२०१३ को ०७:०६ बजे से
चतुर्थी तिथि समाप्त = २३/अक्टूबर/२०१३ को ०८:५१ बजे तक
करवा चौथ पूजा मुहूर्त = १७:३८ से १८:५५ शाम को ५ बजकर ३८ िमनट से शाम ६ बजकर ५१ िमनट तक अवधि = १ घण्टा १७ मिनट