80 करोड़ को अगले साल से सस्ता अनाज

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नई दिल्ली: देश की 75 फीसदी जनता यानी 80 करोड़ लोगों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सस्ते दाम पर अगले साल से अनाज मिलना शुरू हो जाएगा। इसके लिए गरीबी रेखा (बीपीएल) को आधार नहीं माना जाएगा। राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ने यह योजना लागू करने के लिए दो स्तरीय प्रणाली की सिफारिश की है। योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में भी आमूलचूल बदलाव किया जाएगा।

राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ने प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक के मसौदे को शनिवार को अंतिम रूप दे दिया। परिषद की बैठक यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई। योजना आयोग के सदस्य प्रो. नरेंद्र जाधव ने बैठक के बाद पत्रकारों को बताया कि आम जनता को महंगाई से राहत दिलाने के लिए सरकार ने यह विधेयक तैयार किया है। कैबिनेट द्वारा राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की सिफारिशों को मंजूर करने के बाद विधेयक संसद में पेश किया जाएगा। यह कानून अगले साल से लागू होने की उम्मीद है।

बीपीएल के बजाय दो श्रेणियां होंगी

परिषद ने सिफारिश की है कि योजना में बीपीएल प्रणाली को खत्म कर दिया जाए। इसके बजाय ‘प्राथमिकता’ और ‘सामान्य’ दो श्रेणियां बनाई जाएं। योजना के तहत इन श्रेणियों को खाद्य सुरक्षा का कानूनी हक होगा।

कैसे मिलेगा लाभ

* प्राथमिकता वाली श्रेणी के परिवारों को प्रतिमाह 35 किलो अनाज मिलेगा।

* इसमें बाजरा एक रुपए प्रति किलोग्राम, गेहूं दो रुपए प्रति किलोग्राम और चावल तीन रु. प्रति किलो की दर पर उपलब्ध होगा।

* सामान्य श्रेणी के परिवारों को हर माह 20 किलोग्राम अनाज न्यूनतम समर्थन मूल्य से 50 फीसदी की दर पर मिलेगा।

* योजना का लाभ 90% ग्रामीण और 50% शहरी आबादी को मिलेगा।

* 2014 तक इस योजना का लाभ उन सभी परिवारों को मिलने लगेगा, जिनके लिए यह कानून बनाया जा रहा है।

* योजना के प्रथम चरण में खाद्य सब्सिडी के रूप में सरकारी खजाने पर 15,137 करोड़ रु. का बोझ पड़ेगा।

* अंतिम चरण लागू होने के बाद यह बोझ बढ़कर 23,231 करोड़ रुपए हो जाएगा।