मोदी की रैलियों से यूपी के अफसर टेंसन में

Uncategorized

modiमुजफ्फरनगर दंगों से सहमे प्रदेश के पुलिस और प्रशासनिक अफसरों की बेचैनी और बढ़ गई है। वजह है अक्तूबर से दिसंबर के बीच होने वाली भाजपा से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की रैलियां।

खासतौर से कानपुर और बहराइच के अफसर मोदी की रैलियों की खबर से खासे परेशान हैं। कानपुर के अफसरों ने तो यह कहकर हाथ खड़े कर दिए हैं कि जिस दिन मोदी की कानपुर में रैली है उसी दिन बकरीद का त्योहार है। अधिकारियों ने रैली कराने में असमर्थता जताई है।

कुछ ऐसा ही हाल बहराइच के अफसरों का भी है। वर्तमान में प्रदेश का माहौल देखते हुए बहराइच के अफसर नहीं चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी उनके यहां रैली करें। सूत्रों के मुताबिक इस संबंध में दोनों जिलों के अफसरों ने अपनी-अपनी रिपोर्ट भेजी है।रअसल, मुजफ्फरनगर दंगों के बाद सभी जिलों के अफसर हर छोटी बड़ी गतिविधि पर नजर रखे हुए हैं। इस बात पर खास ध्यान दिया जा रहा है कि कुछ भी ऐसा न हो जिससे माहौल खराब हो।

[bannergarden id=”8″][bannergarden id=”11″]
मोदी की छवि और बकरीद व मोहर्रम के दौरान होने वाली उनकी रैलियों के कार्यक्रम को लेकर अफसरों तक में खासी हचचल है। ज्यादातर अफसर चाह रहे हैं कि उनके यहां से रैलियां टल जाएं। बताया जा रहा है कि अफसरों ने भाजपा नेताओं से कानपुर में होने वाली रैली की तारीख बदलने की गुजारिश की है। हालांकि झांसी प्रशासन ने मोदी की रैली को लेकर इस तरह की कोई चिंता नहीं जाहिर की है।

एहतियात बरतने के निर्देश
मुजफ्फरनगर के बाद अफसर मोहर्रम को लेकर खासे सतर्क हैं। मोहर्रम शुरू होने में अभी करीब डेढ़ माह का समय है। लेकिन, जिलों में अभी से पुलिस और प्रशासनिक स्तर पर उसको लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। खुफिया विभागों ने आशंका जताई है कि अराजक तत्व मोहर्रम पर माहौल खराब करने का प्रयास कर सकते हैं।

इसके अलावा वाराणसी, आगरा, मेरठ, गोरखपुर और बरेली में भी रैलियां प्रस्तावित हैं। आईजी लॉ एंड ऑर्डर आरके विश्वकर्मा ने बताया कि रैलियों से जुड़ी ऐसी किसी रिपोर्ट की उन्हें जानकारी नहीं है। यह जिला प्रशासन से जुड़ा मामला है। इस पर भाजपा के लोग ही निर्णय लेंगे।