शिक्षक दिवस विशेष: स्लम एरिया में भी शिक्षा के क्षेत्र में जगाई अलख

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FARRUKHABAD : जनपद में वैसे तो शिक्षा व्यवसाय का रूप ले चुकी है। तमाम शिक्षण संस्थायें कुकुरमुत्तों की तरह टीन, झुग्गी, झोपड़ियों में व्यायावसायिक तौर पर खोल ली गयीं हैं। वहीं उच्च शिक्षा व व्यावसायिक/तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बड़े माफियाओं का कब्जा हो चुका है। जिससे अब गरीब व मध्यम वर्ग के लिए अच्छी शिक्षा दूर होती दिखायी दे रही है। लेकिन शहर में ही एक वह संस्थान भी है जिसकी स्थापना ही गरीबों व असहायों के बच्चों को शिक्षा देने के उद्देश्य से स्लिम ऐरिया में की गयी है। वह स्कूल कहीं दूर दराज के इलाके में नहीं वल्कि प्रशासन की पलकों पर बसी स्लिम एरिया बंधौआ के बीचोबीच ‘‘सेन्ट पॉल ब्राइटेन एकेडमी’’ के नाम से खोला गया है। एकेडमी के संस्थापक रोजीशन विश्वासी से संस्था स्थापना से लेकर उनके द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में गरीबों के लिए किये गये नेक काम के बारे में जेएनआई की खास बातचीत-

rojishan viswasi - sent paul briten academyसवाल – आपने क्या सोचकर शिक्षण संस्थान खोला?
संस्थापक/प्रिंसिपल रोजीशन विश्वासी: जिस क्षेत्र में हमने यह स्कूल खोला है, यहां पर कोई भी अंग्रेजी माध्यम अच्छा स्कूल नहीं था। बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए कुछ अभिभावक दूर दराज के स्कूलों में बच्चों को भेजते थे। जबकि मध्यम व कमजोर वर्ग के लोग प्राइमरी इत्यादि में ही अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए मजबूर होते थे। लेकिन सन 2010 में उनके द्वारा ‘‘सेन्ट पॉल ब्रिटेन एकेडमी’’ अंग्रेजी माध्यम की संस्था खोल देने के बाद इस पिछड़े क्षेत्र में भी शिक्षा की नई अलख जगी है।

सवाल – पिछड़े बच्चों की तमाम समस्याओं को आप किस तरीके से हल करते हैं?
रोजीशन विश्वासी – जब संस्था की स्थापना की गयी थी तो क्षेत्र में अभिभावकों में भी अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा दिलाने की इतनी जागरूकता नहीं थी। अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाना तो चाहते थे लेकिन सामान्य मान्टेसरी व प्राइमरी से पढ़कर आने वाले बच्चे अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में सामंजस्य स्थापित नहीं कर पा रहे थे। लेकिन उन्होंने स्पेशल तरीके से समय समय पर शिविरों एवं गोष्ठियों का आयोजन किया। अभिभावकों की स्कूल में मीटिंग रखी। उन्हें बच्चों को प्रेरित करने के तरीके बताये। शिक्षा में अन्य बाधक तत्वों को भी अलग रखने की सलाह दी गयी। तब जाकर इस क्षेत्र में भी लोगों में शिक्षा की एक नई किरण जागी है।

सवाल – शिक्षा के क्षेत्र में आपके यहां अन्य स्कूलों से अलग क्या है?
रोजीशन विश्वासी – हमारे यहां पाठ्य सामग्री अच्छे लेखकों द्वारा चयनित की हुई ही रखी गयी है। बच्चों को पारिवारिक संस्कृति व मान्यताओं के आधार पर ही शिक्षा देने का प्रयास किया जाता है। इसके साथ ही अंग्रेजी माध्यम के बाद भी बच्चों को भारतीय संस्कृति पर आधारित ही शिक्षा दी जाती है। जिससे बच्चों में राष्ट्र प्रेम की भावना के साथ-साथ देश के इतिहास से भी परिचय बना रहे। मैं चाहता हूं कि बच्चा आत्म विश्वास के साथ शिक्षा ग्रहण करके निकले और भविष्य में प्रतियोगी रूप में शामिल हो।

सवाल – आपका नकल के विषय में क्या कहना है?
रोजीशन विश्वासी – आज की शिक्षा पद्धति व परीक्षा प्रणाली नकल की भेंट चढ़ चुकी है। जिससे बच्चों में आत्म विश्वास की कमी के साथ-साथ शिक्षा की गुणवत्ता में भी कमी आती है। बच्चे नकल पर निर्भर हो जाते हैं और वह सम्पूर्ण विषय पर ध्यान न देकर मात्र नकल करके परीक्षा पास करने पर ध्यान देते हैं। जिससे बच्चों को सम्पूर्ण ज्ञान नहीं हो पाता और उनकी शिक्षा अपूर्ण रह जाती है। जिससे प्रतियोगी परीक्षाओं में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

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सवाल – शिक्षा की समाज में आवश्यकता क्या है?
रोजीशन विश्वासी – आज समाज में शिक्षा की अति आवश्यकता है। शिक्षा के द्वारा ही समाज आगे बढ़ सकता है। आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ प्राचीन सभ्यता व संस्कृति की जानकारी भी शिक्षा के द्वारा ही संभव है। बच्चों में देशभक्ति की भावना व परिवार के प्रति कर्तव्य की भावना भी शिक्षा के द्वारा ही जगायी जा सकती है। स्कूल व परिवार में अच्छा माहौल पैदा कर शिक्षित करने से बच्चों का नैतिक पतन होने से बचेगा और बच्चे चरित्रवान व गुणवान बनेंगे। शिक्षा की हर क्षेत्र में महती आवश्यकता है।

रोजीशन विश्वासी ने अपने विद्यालय के बारे में बताया कि उनके यहां शिक्षा की गुणवत्ता को देखकर ही अल्पकाल में ही 450 छात्र छात्रायें वर्तमान में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जिनको 22 प्रशिक्षित व उच्च ज्ञान रखने वाले शिक्षक शिक्षा दे रहे हैं। बच्चों की मनोदशा व माहौल के आधार पर शिक्षा देने का प्रयास किया जाता है। बच्चों की देखरेख के लिए 8 लोगों का अन्य स्टाफ भी रखा गया है। विद्यालय में नर्सरी क्लास से लेकर कक्षा 8 तक शिक्षण कार्य किया जाता है। जिसमें शिक्षा की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाता है।