नई दिल्ली। विपक्ष के चौतरफा हमले से आहत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का दर्द आज छलक पड़ा। उन्होंने मौजूदा आर्थिक हालात पर राज्यसभा में हुई बहस का जवाब देते हुए कहा कि पूरी दुनिया में कहीं भी ऐसी संसद नहीं जहां विपक्ष सदन में प्रधानमंत्री चोर है का नारा लगाता हो। लेकिन नेता विपक्ष अरुण जेटली ने पलटवार करने में देर नहीं की। उन्होंने जवाब दिया कि दुनिया के किसी मुल्क में सांसदों की खरीद-फरोख्त के जरिये प्रधानमंत्री ने विश्वासमत हासिल नहीं किया।
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मनमोहन ने न सिर्फ विपक्ष पर उन्हें अपमानित करने का आरोप लगाया बल्कि ये भी कहा कि विपक्षी सांसदों को संसद जैसी संस्था पर भी विश्वास नहीं रह गया है। बीजेपी पर हमला बोलते हुए मनमोहन ने कहा कि बीजेपी नौ साल से सत्ता से बाहर है। उसने संसद को ठीक से चलने नहीं दिया और विपक्ष मुझे चोर कहने से भी नहीं चूका। गुस्से में तमतमाए मनमोहन ने कहा कि दुनिया में कहीं भी विपक्ष आसन के निकट नहीं जाते और ये नहीं कहते, ‘पीएम चोर है’।
गर्म तेवरों में दिख रहे मनमोहन ने संसद नहीं चलने देने के लिए विपक्ष को दोषी ठहराया और कहा कि उसने अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई। इकोनॉमी पर संसद में बयान को विपक्ष द्वारा खारिज किए जाने के बाद पीएम ने ये बयान दिया। मनमोहन ने और कड़े आर्थिक सुधारों के लिए विपक्ष का सहयोग मांगा था।
पीएम ने कहा कि सामान्य आर्थिक सुधार लागू किए जा चुके हैं। अब देश को मजबूत आर्थिक आधार देने के लिए कुछ कड़े आर्थिक सुधारों को लागू करने की जरूरत है और इसके लिए राजनीतिक सहमति की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सब्सिडी के बोझ को कम करने, बीमा और पेंशन सुधार लागू करने, लालफीताशाही खत्म करने और वस्तु एवं सेवा कर जैसे कड़े सुधारों को क्रियान्वित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक सहमति नहीं होने कारण कई महत्वपूर्ण कानून रुके हुए हैं।
मनमोहन सिंह ने कहा कि देश में भ्रष्टाचार रहा है और इस तरह के मामलों में किसी भी दोषी को बचाने का सवाल ही नहीं उठता है। लेकिन जहां तक कोयला मंत्रालय की फाइलों के गायब होने का सवाल है तो मैं इन फाइलों की रक्षा खुद कैसे कर सकता हूं।
मैं कैसे कर सकता हूं फाइलों की रक्षा- पीएम
मनमोहन ने कहा कि विपक्ष के नेता ने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया है, लेकिन भ्रष्टाचार होता रहा है। हाल के वर्षों में सूचना के अधिकार के माध्यम से और विभिन्न एजेंसियों ने कुछ ऐसे खुलासे किए हैं जो दुखद हैं। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त किसी भी व्यक्ति को बचाने का सवाल ही नहीं है। कोयला घोटाले से जुड़ी फाइलों के गायब होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इन फाइलों की वह कैसे रक्षा कर सकते हैं।
जेटली ने भी बोला हमला
वहीं नेता विपक्ष अरुण जेटली ने सरकार और पीएम को आड़े हाथों लिया। जेटली ने कहा कि टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन में सरकारी भ्रष्टाचार होता है तो इसका खुलासा करना क्या नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) का दायित्व नहीं है। कोयला ब्लॉक के आवंटन में घोटाला होता है तो क्या कोर्ट इस मामले की सुनवाई न करे। उन्होंने कहा कि सरकारी भ्रष्टाचार से निवेशकों का विश्वास डगमगाया है और इसके लिए कैग या कोर्ट को दोषी ठहराया जाना कहां तक उचित है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि सभी देशों की अर्थव्यवस्था की हालत खराब है। यह तो ऐसा ही हुआ कि जैसे फेल होने वाला छात्र कहता है कि इस बार सारी कक्षा फेल हो गई। एक अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री के इस तरह के वक्तव्य को कौन तर्कसंगत बताएगा।
विपक्ष के नेता ने कहा कि आपने 1990 के दशक मे वित्त मंत्री रहते हुए अर्थव्यवस्था की जो विरासत छोड़ी थी वह अब प्रधानमंत्री रहते हुए नहीं हो पा रहा है। अब जो आप विरासत छोड़ेंगे उसके बारे में कहा जा रहा है कि भारत की विकास दर जल्दी ही चार प्रतिशत से नीचे पहुंचने वाली है।
(एजेंसियों के साथ)