IAS Toper प्रदीप शुक्ल की अंग्रेजी हुई कमजोर- हिंदी में मांगे घोटाले के दस्ताबेज

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Pradeep Shukla IAS NRHM SCAM उत्तर प्रदेश की माया सरकार में मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा, उनके साथी आरपी जायसवाल और सौरभ जैन के बाद आईएएस प्रदीप शुक्ला भी अब एनआरएचएम घोटाले से संबंधित कागजात हिंदी में मांग रहे हैं। इस करोड़ों के घोटाले के आरोपी प्रदीप शुक्ला ने अपने वकील के जरिये कोर्ट में अर्जी दे मांग कि है कि इस मामले में दर्ज हुए गवाहों के बयान उन्हें हिंदी में उपलब्ध कराये जाएँ। इस पर एजेंसी के वकील बीके शर्मा ने कोर्ट में विरोध जताया है। वहीँ सीबीआई के स्पेशल जज एस. लाल ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।

कानून के जानकारों के मुताबिक इस अर्जी के पीछे शुक्ला की मंशा सिर्फ इतनी है कि कोर्ट का समय ख़राब हो और उनको इसी बहाने कुछ दिनों की और मोहलत मिल सके|

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वहीँ एनआरएचएम और लेकफैड घोटालों के मुख्य आरोपी बाबूसिंह कुशवाहा को गुपचुप तरीके से लखनऊ भेज दिया गया | जिले की अतिसुरक्षित डासना जेल से पहले कुशवाहा को मेरठ और उसके बाद लखनऊ पीजीआई ले जाया गया। इसके पीछे तर्क दिया गया कि मेरठ में कोई ह्रदय रोग का डाक्टर मौजूद नहीं था| हमारे सूत्रों के मुताबिक कुशवाहा को पहले आईसीयू में रखा गया, उसके बाद उसे कॉर्डियोलॉजी के प्राइवेट-बी वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया।

आपको जानकार हैरत होगी कि पीजीआई में कुशवाहा मौजूद है इस बात की जानकारी सिर्फ उनके परिजनों को ही थी| लखनऊ एसएसपी, डीजीपी मुख्यालय, राज्य अभिसूचना मुख्यालय तक को भी नहीं पता था कि कुशवाहा शहर में है।

गौरतलब है कि कुशवाहा को बिना कोर्ट की मंजूरी के लखनऊ के एसजीपीजीआई में एडमिट कराने के मामले में सीबीआई कोर्ट ने डासना जेल अधीक्षक से जवाब माँगा है। कोर्ट की ओर से पूछा गया है कि पूर्व मंत्री को किस बीमारी, किसके आदेश, कब और किस समय लखनऊ ले जाया गया, इसे स्पष्ट किया जाए।

जानकारों के मुताबिक सपा सरकार से निकटता के बाद से ही कुशवाहा पर मेहरबानियाँ आरंभ हो गयी हैं| सीबीआई का तो पता नहीं लेकिन लैकफेड घोटाले की जाँच कर रही एजेंसी अब कुशवाह को लेकर कुछ खास नहीं करने वाली है|