कुदरत का कहर : उत्तराखंड में 102 की मौत, 62 हजार फंसे, हर तरफ तबाही

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रुद्रप्रयाग / गोविंदघाट / पौड़ी-श्रीनगर हाईवे: लहरें अगर विकराल हो जाएं, तो बस्तियों से लेकर गांवों तक के निशान नक्शे से गायब हो जाते हैं। जब पहाड़ों से पानी उतर रहा है, तो ऐसी हैरतअंगेज तस्वीरें सामने आ रही हैं, जो कुदरत ने पैदा कीं। मॉनसूनी बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण आठ और लोगों की मौत के साथ ही आपदा प्रभावित उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में मरने वालों की संख्या बढ़कर 138 हो गई है।
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भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के महानिदेशक अजय चड्ढा ने कहा कि हालात काफी गंभीर हैं और यहां पहले कभी ऐसा नहीं हुआ। चड्ढा ने कहा कि मौसम में सुधार है, इसलिए बचाव कार्य में तेजी आएगी। आईटीबीपी की तीन बटालियनें (लगभग 3,000 जवान) राज्य में तैनात की गई हैं। इन बटालियनों ने हजारों लोगों को सुरक्षित बचाया है।

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रुद्रप्रयाग और चमोली जिले में फंसे 2700 तीर्थयात्रियों एवं स्थानीय लोगों को बाहर निकाला गया है। उत्तरी क्षेत्र में अधिकतर स्थानों में मौसम साफ होने के कारण राहत कर्मियों के लिए अभियान को आगे बढ़ाने में मदद मिली है, विशेष तौर पर बद्रीनाथ तीर्थ स्थान में, जहां 12,000 तीर्थयात्री फंसे हुए हैं।

आपदा प्रबंधन अधिकारियों ने कहा कि चमोली में मंगलवार देर शाम को केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य के बंसीनारायण से ग्रामीणों को आठ और शव मिले। ऐसा लगता है कि ये रविवार को बह गए थे। चमोली में अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट संजय कुमार ने कहा कि 1500 तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों को घंघरिया, दुआंधार और पुनाला से निकालकर जोशीमठ में राहत शिविर में लाया गया है।

उत्तराखंड में कुदरत का कहर ऐसा है कि जमीन का बड़ा-बड़ा हिस्सा कटाव की भेंट चढ़ गया। गोविंदघाट पर सड़क पर खड़ी सैकड़ों गाड़ियों को उफनती अलकनंदा की सहायक नदी लक्ष्मण नंदा ने चुंबक की तरह अपनी तरफ खींच लिया। तबाही का मंजर देख लोग सिहर उठे हैं। बड़ी संख्या में सड़कों पर खड़ी गाड़ियां नदी में समा गईं।

बताया जा रहा है कि सिर्फ गोविंदघाट में ही तकरीबन 200 गाड़ियां बह गई हैं। दरअसल यहीं से हेमकुंड जाने का रास्ता निकलता है और यह बद्रीनाथ के करीब है। पूरा इलाका लगातार कटाव और भूस्खलन झेल रहा है।

बाढ़ ने केदारनाथ धाम में बड़े पैमाने पर तबाही मचाई है। करोड़ों की आस्था का केंद्र केदारनाथ ज्योतिर्लिंग सुरक्षित है, लेकिन मंदिर परिसर में पानी और मलबे का ढेर लगा है। पास के इलाके में कम से कम 50 शव देखे गए हैं। आसपास बने ढांचों में से अधिकतर गायब हैं। मंदिर परिसर के पास चहल-पहल वाले राम बाड़ा के वजूद पर सवालिया निशान लग गयाहै। हेलीकॉप्टर से ली गई तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि यह इलाका पानी में डूबा हुआ है। यहां बड़ी संख्या में यात्री लापता हैं। कभी बाजार, लोगों और मकानों, होटलों से पटे रहने वाले इस धाम में अब वीरानी है। सैलाब अपने साथ तबाही के ऐसे निशान छोड़ गया है कि जानमाल के नुकसान का सही अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल है।

तबाही, बर्बादी के निशान उत्तराखंड में हर जगह फैले हैं हुए हैं। पिथौरागढ़ के धारचुला तहसील में भी हालात बदतर हैं। जो तस्वीरें सामने आ रही है, उसमें यहां के काली नदी का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है। नदी ने धारचुला में भारत−नेपाल सीमा के गांवों में भयानक तबाही मचाई है। कई घर नदी के तेज बहाव की चपेट में आ चुके हैं।

गढ़वाल के श्रीनगर इलाके में सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की प्रशिक्षण अकादमी को भारी नुकसान पहुंचा है। अकादमी के निदेशक एस बंदोपाध्याय के अनुसार, अकादमी को भारी बारिश के कारण 100 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा है और यहां सभी प्रशिक्षण कोर्स रोक दिए गए हैं तथा कैडेट एवं अधिकारियों को अन्य स्थानों पर भेज दिया गया है।

एसएसबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारी बारिश के कारण अकादमी के बड़े हिस्से को नुकसान पहुंचा है, जिसमें डाइनिंग, प्रशासनिक क्वार्टर आदि शामिल है। अधिकारी ने कहा कि दिल्ली मुख्यालय से एक दल जल्द ही यहां आएगा और नुकसान का जायजा लेगा। उन्होंने कहा कि एसएसबी भूटान और नेपाल से लगे सीमावर्ती क्षेत्र की निगरानी करता है।

आपदा प्रबंधन अधिकारियों ने बताया कि इनमें 27,040 लोग चमोली में फंसे हैं, जबकि रूद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में क्रमश: 25,000 और 9,850 तीर्थयात्री फंसे हुए हैं। इस बीच बारिश में थोड़ी कमी आने पर प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव उपाय बढ़ा दिए गए हैं। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में राहत अभियानों में एक दर्जन से अधिक हेलीकाप्टर लगाए गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि तीर्थस्थलों में फंसे तमाम लोगों को जल्द सुरक्षित निकाल लिया जाएगा।