राशन कार्ड का सर्वे: DSO के आगे लाचार लाल बत्ती वाले मंत्री और सभासद

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फर्रुखाबाद: नीति और सिद्धांत केवल जनता के लिए है| नेता और प्रशासन दोनों के लिए नीति, नियम और सिद्धांतो का उल्लंघन क्षम्य है| वर्तमान व्यवस्था के हालात तो यही कहते है| राशन कार्ड के नवीनीकरण के लिए चल रहे सर्वे में घालमेल को लेकर दर्जनों शिकायते जिलाधिकारी से लेकर मंत्री के आगे पहुच चुकी है मगर मजाल है कि गोलमाल में कुछ परिवर्तन हो जाए| अबकी बार सभासदों ने जिला पूर्ति अधिकारी से राशन कार्ड सर्वे में लगे कर्मचारियो की ड्यूटी का चार्ट माँगा है| इसके लिए भी कैबिनेट मंत्री सतीश दीक्षित का अनुमोदन कराया है| कमाल है व्यवस्था? जिस सूची को सार्वजानिक कर फर्रुखाबाद की सरकारी वेबसाइट पर जनता की सुविधा के लिए डाल देना चाहिए था उसके लिए सभासद और सपा सरकार के कैबिनेट स्तर के मंत्री एक अदने से जनता के लिए नियुक्त सरकारी मुलाजिम से गुहार कर रहे है| हल्ला बोल पार्टी ने अब गाँधीवादी रुख अख्तियार कर लिया है| वर्ना ऐसा न था कि…|

दरअसल में व्यवस्था अधिकारिओ और नेताओ की “सुविधानुसार” चलती है जनता की सुविधानुसार नहीं| कैबिनेट स्तर का दर्जा प्राप्त मंत्री सतीश दीक्षित सभासदों के पत्र पर अनुमोदन करते हुए लिखते है कि “ज्ञापन में वर्णित तथ्यों का संज्ञान लेते हुए एतद सम्बन्धी शासनादेशो का नियमानुसार यथोचित अनुपालन सुनिश्चित कराये”| ये संबोधन वो जिलाधिकारी के लिए लिखते है| जिसके कई दिन बाद भी कोई काम नहीं हुआ| शुक्र है कि उन्होंने अपने अनुमोदन में “सुविधानुसार” नहीं लिखा| कोटेदारो द्वारा सभासदों पर दलाली का आरोप लगाने के बाद सभासदों में भी गर्मी आती दिख रही है| इस बार 16 सभासदों के हस्ताक्षर वाला पत्र जिलाधिकारी को लिखा गया है कि राशन कार्ड सर्वे के काम से कोटेदारो का हस्तक्षेप समाप्त कर घर घर सर्वे कराये| अब बात कोटेदारो और सभासदों के मूछ की है? राशन कार्ड के सर्वे में कोटेदारो का हस्तक्षेप ख़त्म हो या न हो दोनों में से एक तो हारना ही है| सभासद अपनी बात पर कायम रह अपनी मांग पूरी करवाने में सक्षम हुए तो जनता में उनकी साख बढ़ेगी और अगले चुनाव में फायदा होगा| और अगर कामयाब नहीं रहे तो अगले चुनाव में विरोधी उसे भुनाएंगे और कहेंगे- मैं अगर सभासद होता तो घर घर जाकर ही फार्म बटते|

तो जनाब खबर ये है कि भ्रष्टाचार की गंगा में गोते लगाते जिला पूर्ति अधिकारी कार्यालय के बाबू अफसर और कोटेदार ये बर्दास्त करने को तैयार नहीं कि उनके कार्य में कोई दखल दे| उस पर बेशर्मी की हद या उपरी पहुच का शिकंजा इस कदर हावी है कि लिख लिख कर जिलाधिकारी से लेकर मंत्री तक हार रहे है कि सर्वे घर घर जाकर नियमानुसार कर दो मगर सुधार नहीं हुआ तो नहीं हुआ|

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पानी है कि बैंगन पर रुकता ही नहीं| आज के युग में भ्रष्टाचार और घूसखोरी का मुलम्मा इस कदर चढ़ चुका है कि सौ सौ जूते मार लो, सौ पचास गलियां दे लो मगर इंडिया लूट लेने दो|

मंत्री नरेन्द्र सिंह यादव भी सौ पचास बार अपने पुत्र सचिन यादव के लिए चुनाव प्रचार की जनसभाओ में खूब तालियाँ इस बात पर पिटवाते है कि लेखपाल और जिला पूर्ति कोटेदार दोनों भ्रष्ट है मगर एक भी सकारात्मक कदम भ्रष्टाचार रोकने के लिए नहीं उठाया| जनता को दोनों मंत्री बेबकूफ बना रहे है या समझ रहे है इस बात का फैसला जनता करे| लाल बत्ती जिस में जनता की कमाई का पेट्रोल पड़ता है उससे निजी कार्य तो खूब निपटा रहे है ऐसा जनता कहती है| मगर जनता के काम के लिए केवल पत्र पर अनुमोदन के अलावा कोई कड़क कार्यवाही करने की जहमत नहीं उठाते| जिसे अफसर अपनी सुविधानुसार आगे के अफसर को अग्रसारित कर देते है| पत्र पढ़कर नियम देखकर आदेश करने की जहमत कौन उठाये|

अफसर दोनों मंत्री को सलाम बजा देते है| मीठी बात करते है| और उनके निजी काम समय पर हो जाते है| बस इतना ही चाहिए| ये जनता के प्रतिनिधि कम सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर काम कर रहे है| कमान जनता को सम्भालनी होगी| और जनता के पहले प्रतिनिधि सभासद होते है| शुरुआत हो चुकी है, देखना है कि इन सभासदों की भुजाओं में कितना दम है| या ये भी सुधर कराने की जगह केवल मीडिया में फोटो छपने और खबर में अपना नाम पढ़ने तक में संतुष्ट हो जायेंगे| इस बार ज्ञापन देने वालो में रामजी बाजपेयी, मो असलम, रजिया, महेंद्र कुमार, अलोक कुमार, धर्मेन्द्र कनोजिया, विश्वनाथ, उदयभान, फरीदा ताहिर, आदेश गुप्ता, मनोज कुशवाहा, रविश द्विवेदी, अकबरी, सुनीता यादव और रमला राठौर है|