निमेष आयोग की रपट को उप्र सरकार की मंजूरी

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up governmentलखनऊ| उत्तर प्रदेश सरकार ने दो मुस्लिम युवकों की गिरफ्तारी की जांच के लिए गठित निमेष आयोग की रपट को मंगलवार को मंजूरी दे दी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की पराकाष्ठा बताया है। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने संवाददाताओं से कहा कि कैबिनेट ने निमेष आयोग की रपट स्वीकार कर ली है। इसे विधानमंडल के आगामी सत्र में एक्शन टेकेन रिपोर्ट के साथ प्रस्तुत किया जाएगा।

निमेष आयोग का गठन 2007 में फैजाबाद, गोरखपुर, लखनऊ की अदालतों में सिलसिलेवार विस्फोटों के लिए पुलिस द्वारा खालिद मुजाहिद और तारिक कासमी को फर्जी तरीके से गिरफ्तार किए जाने के आरोपों की जांच के लिए किया गया था। खालिद और तारिक को स्पेशल टॉस्क फोर्स ने विस्फोटकों के साथ बाराबंकी में गिरफ्तार कर अदालतों में हुए धमाकों के लिए जिमेदार बताया था। बाद में पुलिस पर आरोप लगे कि दोनों मुस्लिम युवकों को फर्जी तरीके से विस्फोटों के आरोप में फंसा दिया गया। इसी की जांच के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने वर्ष 2008 में निमेष आयोग का गठन किया था।

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आयोग ने पिछले साल अगस्त में पेश की अपनी रपट में पुलिस की कहानी पर सवाल उठाए थे। उधर सपा सरकार के इस कदम पर भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति के तहत मृत आतंकी के परिजनों के दबाव में सरकार ने यह फैसला लिया है। पाठक ने कहा कि सरकार के पास रपट काफी समय से है, लेकिन वह आतंकी के परिवार की धरना देने की धमकी के बाद रपट को सार्वजनिक कर रही है। उन्होंने कहा कि यह सरकार बेबस सरकार है। स्वेच्छा की बजाय दबाव में फैसले ले रही है।

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