लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रांतीय प्रशासनिक सेवा (पीसीएस) से अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) में प्रोन्नति के लिए केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय की प्रस्तावित परीक्षा प्रणाली पर असहमति जता दी है।
मुख्य सचिव आलोक रंजन ने 30 मई को केन्द्र सरकार को भेजे पत्र में कहा है कि 28-29 साल की सेवा के दौरान पीसीएस अधिकारियों के कार्य और सत्यनिष्ठा का कई बार मूल्यांकन होता है। इसके बाद भी आइएएस में प्रोन्नति के लिए परीक्षा व्यवस्था लागू करने का औचित्य नहीं है। यह भी कहा गया है कि प्रोन्नति के लिए परीक्षा प्रणाली लागू होने से ज्यादातर अधिकारी प्रदेश के विकास का कार्य छोड़कर प्रोन्नति परीक्षा की तैयारी में जुट जाएंगे। इससे कामकाज बाधित होगा।
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इससे पहले यूपी सिविल सर्विस एसोसिएशन (एक्जीक्यूटिव ब्रांच) के अध्यक्ष चक्रपाणि, कार्यवाहक महासचिव आरके पाण्डेय ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मुख्य सचिव आलोक रंजन को ज्ञापन देकर प्रोन्नति में परीक्षा प्रणाली पर विरोध जताया था। प्रोन्नति में परीक्षा व्यवस्था के बिन्दुवार नुकसान गिनाये थे। एसोसिएशन की मांग पर सहमति जताते हुए राज्य सरकार की ओर से मुख्य सचिव ने असहमति पत्र केन्द्र सरकार को भेज दिया है। गौरतलब है कि केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय ने प्रोन्नति में परीक्षा प्रणाली लागू करने के प्रस्ताव पर राज्य सरकारों से 31 मई तक सुझाव मांगे थे।
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एसोसिएशन के अध्यक्ष चक्रपाणि ने बताया कि ऐसी असहमति सिर्फ यूपी की ओर से नहीं की गई बल्कि 26 मई को दिल्ली के पंजाब भवन में आल इंडिया फेडरेशन आफ सिविल सर्विसेज एसोसिएशन की बैठक में 25 राज्यों के प्रतिनिधियों ने प्रांतीय प्रोन्नति के लिए परीक्षा व्यवस्था के प्रस्ताव का विरोध किया था। इसके बाद उन राज्यों की ओर से भी असहमति का पत्र केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय को भेजे जा रहे हैं। चक्रपाणि का कहना है कि राज्य सरकार के इस फैसले के बाद पीसीएस अधिकारी राज्य के विकास के लिए और मुस्तैदी से काम करेंगे।