कन्या भ्रूण हत्या के लिए देश के डॉक्टर जिम्मेदार- हाई कोर्ट

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3july2010courtइलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आधुनिक चिकित्सा तकनीक के जरिए कन्या भू्रण हत्या पर गहरी चिंता व्यक्त की है और कहा है कि इसके लिए देश के डॉक्टर जिम्मेदार हैं। अदालत ने यूपी में इस तरह की घटनाओं पर गहरी चिंता जताई है और कहा है कि राज्य सरकार ने पीएनडीटी एक्ट-1994 पर अमल करने की कोई कोशिश नहीं की है। इस एक्ट के तहत क्लीनिक सील कर डॉक्टर को अभियोजित करने की व्यवस्था है।
पिछले एक दशक में 10 मिलियन कन्या भू्रण हत्या हो चुकी है। यह संख्या प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध में हुई मौतों से कहीं अधिक है।
कोर्ट ने कुशीनगर के जिलाधिकारी द्वारा लिंग परीक्षण करने वाले क्लीनिक को सील कर पंजीकरण निरस्त करने की कार्यवाही को विधिपूर्ण माना है। तथा निर्देश दिया है कि डॉक्टरों का पंजीकरण निरस्त करने तथा उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा कायम करने के लिए प्रकरण मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया को भेजा जाए।
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यह आदेश न्यायमूर्ति सुनील अम्बवानी तथा न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता की खण्डपीठ ने डॉ.द्वारिका प्रसाद की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। याची का क्लीनिक आशीष अल्ट्रासाउण्ड एण्ड एक्सरे सेंटर पडरौना, कुशीनगर में है जिसके विरुद्ध सेक्स परीक्षण की शिकायत मिलने पर जिलाधिकारी ने कार्यवाही की। इस कार्यवाही को याचिका में चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने कहा है कि भारत जैसे सभ्य देश में तुच्छ लाभ के लिए डॉक्टरों द्वारा मॉडर्न तकनीक का इस्तेमाल सेक्स जानने के लिए किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। पिछले एक दशक में 10 मिलियन कन्या भू्रण हत्या हो चुकी है। यह संख्या प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध में हुई मौतों से कहीं अधिक है।
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अदालत ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सेक्स निर्धारण पर अंकुश लगाने का कोई कदम नहीं उठाया गया जबकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केवल क्लीनिक सील करने या लाइसेंस निरस्त करने से काम नहीं चलेगा। कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र में 69 मामलों में चार्ज फ्रेम हो चुके हैं। आठ मामले आयुर्वेद कौंसिल तथा सात मामले होम्योपैथिक कौंसिल को भेजे गए। 66 डॉक्टरों के पंजीकरण महाराष्ट्र सरकार ने निरस्त किए। पीसी एण्ड पीएनडीटी एक्ट की अवहेलना के 400 केस दर्ज हुए हैं। कोर्ट ने कुशीनगर के जिलाधिकारी की कार्यवाही की तारीफ की और एक्ट का कड़ाई से पालन किए जाने का निर्देश दिया है।

मालूम हो कि डॉ.नीलम सिंह ने जो ‘सेव द गर्ल चाइल्ड’ से जुड़ी है, ने जिले में लड़कों की अपेक्षा लड़कियों के जन्मदर में तेजी से आई गिरावट की शिकायत की। जिस पर एक टीम ने निरीक्षण के बाद पाया कि याची के क्लीनिक में सेक्स निर्धारण किया जा रहा है। इस पर क्लीनिक जब्त कर लिया गया और लाइसेंस निरस्त कर दिया गया।

रिपोर्ट में बताया गया है कि शहर के 65 अल्ट्रा साउंड केंद्रों में से 60 फीसद पिछले पांच वर्षो में स्थापित हुए हैं जिसके चलते लड़कियों की जन्मदर में भारी गिरावट हुई है। यह भी पाया गया कि युवा महिलाओं का अल्ट्रा साउंड अधिक संख्या में कराया गया है और अधिकांश टेस्ट डॉ.एम चौधरी व डॉ.महेश के द्वारा कराए गए हैं।