डायल करें *#07# और जानें मोबाइल का खतरा

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Mobileमोबाइल हैंडसेट से निकलने वाली सेहत के लिए खतरनाक रेडिएशन किरणों को लेकर सरकार अब नींद से जागती दिख रही है। खासकर तय सीमा से अधिक रेडिएशन छोड़ने वाले हैंडसेटों पर सरकार सख्ती के मूड में है। सबसे पहले सरकार नियमों की अनदेखी कर रही कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए खुद को मजबूत बनाने की तैयारी में है।

इसके तहत दूरसंचार विभाग अपनी टेलीकॉम एनफोर्समेंट रिसॉर्स एंड मॉनीटरिंग (टीईआरएम यानी टर्म) इकाई को ताकत देने की कोशिश में है। ज्यादा रेडिएशन छोड़ने वाले हैंडसेटों की तलाशी और छापे मारने की ताकत देने की बात चल रही है। सरकार के निर्देश के तहत अब जल्द ही उपभोक्ता अपने नए हैंडसेट पर *#07# डायल कर रेडिएशन का स्तर जान सकेंगे। नोकिया और सैमसंग ने अपने नए मोबाइल हैंडसेट पर यह सेवा शुरू करने की बात कही है।

दूरसंचार विभाग उन आयातित मोबाइल हैंडसेटों पर रोक लगाने के लिए तैयार है, जिन पर रेडिएशन उत्सर्जन का स्तर नहीं दर्शाया गया है।
विभाग का कहना है कि हैंडसेट की पैकेजिंग पर उत्सर्जन स्तर लिखा होना चाहिए। इसके अलावा दूरसंचार विभाग में यह बात काफी लंबे समय से चल रही है कि वे रेडिएशन स्तर का पता लगाने वाली इकाई टर्म को शक्तियां दें।

इसके तहत वे बाजार या फिर कंपनियों के पास से तय सीमा का उल्लंघन करने वाले हैंडसेटों को जब्त करें। अभी तक टर्म के पास ऐसी ताकत नहीं है। इसके लिए टेलीग्राफ अधिनियम में संशोधन कराने की बात है। दूसरी तरफ सरकार के निर्देश के अनुसार नए मोबाइल हैंडसेट में *#07# डायल कर रेडिएशन का स्तर पता लगाने का प्रस्ताव है।

अभी *#07# डायल कर हैंडसेट का पहचान नंबर यानी आईएमईआई नंबर का पता लगाया जाता है। आईएमईआई नंबर से मोबाइल फोन ग्राहक का पता-ठिकाना खोजा जा सकता है। विभाग के मुताबिक अब *#07# डायल कर अगर रेडिएशन तय स्तर से ज्यादा पाया जाता है तो इसकी शिकायत विभाग से की जा सकती है।

नोकिया और सैमसंग अपने नए हैंडसेट में यह सुविधा देने की बात कर रहे हैं। अभी मोबाइल हैंडसेट कंपनियों का रेडिएशन यानी एसएआर स्तर 1.6 वाट प्रति किलोग्राम है। एसएआर यानी स्पेशीफिक एर्ब्सोपशन रेट वह दर होती है, जो बताती है कि आखिर हमारा शरीर कितनी मात्रा में रेडिएशन किरणों को ग्रहण कर सकता है।

देश में पहले एक व्यक्ति के लिए रेडिएशन एसएआर स्तर छह मिनट के अंदर दो वाट प्रति किलोग्राम था, जिसे पिछले साल घटाकर 1.6 वाट प्रति किलोग्राम कर दिया गया।