FARRUKHABAD : चोरी और सीनाजोरी की कहावत तो पुरानी है और उसकी ताजा मिशाल लघु सिंचाई विभाग के अवर अभियंताओं ने पेश की है। हजारों निःशुल्क बोरिंग के नाम पर करोड़ों के घोटाले में फंसे लघु सिंचाई के अवर अभियंताओं ने अब सीधे जिलाधिकारी के विरुद्व ही हमलावर तेवर अख्तियार कर लिये हैं। डीएम की ओर से जांच कमेटी गठित कर अभिलेख उपलब्ध कराने के निर्देशों के क्रम में विभागीय अभियंताओं ने जिलाधिकारी के आदेश पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। दूसरी ओर जिलाधिकारी ने लघु सिंचाई विभाग के अवर अभियंताओं को दो दिन के भीतर विगत पांच वर्षों में कराये गये सभी कार्यों की सूची तत्काल उपलब्ध कराने का फरमान जारी कर दिया है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार गवन के आरोपी विभागीय अधिकारियों के विरुद्व जिला प्रशासन एफआईआर की भी तैयारी में है।
विदित है कि लघु सिंचाई विभाग के अन्तर्गत विगत वित्तीय वर्ष में लगभग 1200 से अधिक फर्जी निःशुल्क बोरिंग दर्शाकर करोड़ों के बंदरबांट की शिकायत की गयी थी। इस सम्बंध में मीडिया में भी प्रमुखता से समाचार प्रकाशित हुए थे। जिलाधिकारी की ओर से इस सम्बंध में लोक निर्माण विभाग व नलकूप विभाग के अधिशासी अभियंताओं के अतिरिक्त अपर उपजिलाधिकारी व सम्बंधित खण्ड विकास अधिकारियों की जांच टीम गठित कर विकासखण्डवार जांच के आदेश जारी कर दिये थे व विभागीय अवर अभियंताओं को आवश्यक अभिलेख जांच कमेटी को उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिये गये थे।
जिलाधिकारी की ओर से विगत 30 अप्रैल को जारी इस आदेश के अनुपालन में अभिलेख उपलब्ध कराना तो दूर आरोपियों ने जिलाधिकारी के आदेश पर ही प्रश्नचिन्हं लगा दिये हैं। आरोपी अवर अभियंताओं की ओर से जिलाधिकारी को प्रेषित पत्र में मीडिया में प्रकाशित समाचारों को निराधार बताते हुए उनके विरुद्व मानहानि का मुकदमा दर्ज कराने तक की सलाह दे डाली है। साथ प्रश्नगत कार्यों को सेवानिवृत्त अवर अभियंता के कार्यकाल में सम्पादित बताकर इन कार्यों के विषय में जांच से पूर्व राज्यपाल की पूर्व अनुमति दिये जाने की बाध्यता बतायी है।
[bannergarden id=”11″]
आरोपी अवर अभियंताओं की ओर से जिलाधिकारी को भेजे गये पत्र में यह भी कहा गया है कि शासनादेश के अनुसार जिस अधिकारी के विरुद्व शिकायत है उससे दो श्रेणी के ऊपर के अधिकारी से जांच करायी जानी चाहिए। चूंकि जांच सहायक अभियंता के विरुद्व है, इसलिए जांच अधिकारी कम से कम अधीक्षण अभियंता स्तर का होना चाहिए।
पत्र में जिलाधिकारी द्वारा गठित जांच कमेटी को यह कहते हुए सवालों में घसीट लिया गया है कि जांच समिति के अधिकारी अलग अलग विभागों के हैं। अतः यह स्वाभाविक है कि उन्हें लघु सिंचाई विभाग के नियमों, कार्यकलापों व तकनीकी का ज्ञान नहीं है। अतः उनके द्वारा किये जाने वाली कोई भी कार्यवाही न्यायपूर्ण हो ही नहीं सकती।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिलाधिकारी ने अवर अभियंताओं के पत्र पर कड़ा रुख अख्तियार किया है। लघु सिंचाई विभाग के सभी अवर अभियंताओं को दो दिन के भीतर विगत पांच वर्षों में उनके द्वारा कराये गये सभी कार्यों की सूची उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गये हैं। जानकारी यह भी मिली है कि जिला प्रशासन आरोपियों के विरुद्व एफआईआर कराये जाने की संभावना पर भी विचार कर रहा है।