मुंबई। निवेशकों को 24,000 करोड़ रुपये रिफंड ना करने के मामले में आज सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय सेबी के सामने पेश हुए। इससे पहले सेबी ने सहारा प्रमुख समेत सहारा ग्रुप के 3 डायरेक्टरों को 10 अप्रैल को पेश होने का समन भेजा गया था।
इससे पहले सेबी ने सुब्रत रॉय और सहारा के तीन अन्य निदेशकों को 26 मार्च को निजी तौर पर पेश होने का निर्देश दिए थे। वह इसलिए कि वह उनकी व्यक्तिगत और कंपनियों की संपत्तियों और निवेश के ब्योरे की जांच की जा सके। इसलिए समूह के अधिकारियों ने सेबी के सामने पेशी की बात भी गुप्त रखी। सुब्रत रॉय और उनके समूह के अन्य अधिकारियों को सेबी के पूर्णकालिक सदस्य प्रशांत शरण के सामने पेश होने के लिए कहा गया था। इन अन्य अधिकारियों में अशोक राय चौधरी, रवि शंकर दुबे और वंदना भार्गव के नाम हैं|
इसी आदेश में सहारा की दो कंपनियों और उनके चार शीर्ष कार्यकारियों से 8 अप्रैल तक बाजार नियामक को अपनी संपत्तियों और निवेश का ब्योरा देने के लिए कहा था। यह पता नहीं चल सका है कि आदेश के मुताबिक इन लोगों ने सेबी के समक्ष संपत्तियों के ब्योरे सौंपे हैं या नहीं। नियामक में यह भी कहा गया कि यदि ये लोग आदेश के मुताबिक सेबी के सामने पेश नहीं हो पाते, तो सेबी उनकी अनुपस्थिति में ही उनकी और उनकी कंपनियों की परिसंपत्तियों की नीलामी की शर्तों का निर्धारण कर सकता है।
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सहारा समूह ने समाचार पत्रों को जारी विज्ञापनों समेत विभिन्न माध्यमों से सेबी और इसके उच्चाधिकारियों पर आरोप लगाया कि वे सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय और अन्य को मिलकर अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दे रहे हैं। संयोग से प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) भी इसी सप्ताह 13 अप्रैल को सेबी के आदेश के खिलाफ सुब्रत रॉय और अन्य द्वारा दायर अपीलों पर सुनवाई करने वाला है।
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