Sunday, January 12, 2025
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फर्जी हस्‍ताक्षरों पर चल रही ‘हाई-प्रोफाइल’ वार्ड आया की नौकरी

फर्रुखाबाद: सूबे में सरकार भले ही बदल गयी हो परंतु कमालगंज सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र मं आज भी बसपाइयों का ही जलजला कायम है। पाठकों की सुविधा के लिय याद दिलाना ठीक होगा कि एक जमाना वह भी था कि फर्रुखाबाद प्रदेश के स्‍वास्‍थ्य मंत्री का निर्वाचन क्षेत्र हुआ करता था। उनकी सिफारिश के बिना जनपद में पत्‍ता नहीं हिलता था। उनके एक करीबी ठेकेदार महेश राठौर जिन्‍होंने बाद में राजेपुर में अपनी पत्‍नी को ब्‍लाक प्रमुख चुनवा लिया, वह भी उस दौर में चिकित्‍सा विभाग में काफी दखल रखते थे। उसी दौर की नियुक्‍त एक वार्ड आया रजनी राठौर आज भी पुराने दौर में ही जी रही हैं। नौकरी के नाम पर अस्‍पताल का उनका एक विश्‍वास पात्र उपस्‍थिति रजिस्‍टर में उनके नाम के आगे फर्जी हस्‍ताक्षर बना देता है। निरीक्षण करने अव्‍वल तो कोई कमालगंज जाता नहीं है। कोई गया भी तो केवल रजिस्‍टर पर हाजिरी लगी देख कर वापस लौट आता है।

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5-1सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र कमालगंज में तैनात वार्ड आया रजनी राठौर की माया निराली है। कभी कभार वह एक लग्‍जरी स्‍कार्पियो पर आतीं हैं, तो उनकी ठसक देखने लायक होती है। अस्‍पताल के अधिकांश कर्मचारी इस नाम के किसी प्राणी से परिचित नहीं हैं। परंतु उनका वेतन नियमित रूप से निकलता है। कारण वह उपस्‍थिति रजिस्‍टर है जिसपर एक वार्ड ब्‍वाय नियमित रूप से हस्‍ताक्षर करता रहता है। कई बार प्रभारी चिकित्‍साधिकारी उन फर्जी हस्‍ताक्षरों के ऊपर भी अनुपस्थिति का A बना देते हैं। परंतु इससे कोई विशेष अंतर नहीं पड़ता। बाद में सीएल लगा कर वेतन निकल ही आता है। मजे की बात है कि स्‍थिति के विषय में प्रभारी चिकित्‍साधिकारी डा. श्री प्रकाश शाक्‍य भी भली भांति जानते हैं, परंतु लिखा-पढ़ी करने की हिम्‍मत नहीं है। इस विषय में बात करने पर पहले तो समय और हालात का हवाला दिया और फिर निकट भविष्‍य में दोबारा बसपा की सरकार आ जाने की संभावना के बारे में अपने विचार रखे। परंतु इस विषय में उच्‍चाधिकारियों को पत्र लिखने के विषय में पूछे जाने पर बोले कि कई बार सीएमाओ साहब को अवगत करा चुका हूं, परंतु वह भी सुनते नहीं हैं, तो मैं ही बुराई कयों मोल लूं।

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मुख्‍य चिकित्‍साधिकारी डा. राकेश कुमार ने बताया कि यदि कोई कर्मचारी अनुपस्‍थित रहती है तो इसके बारें में एमओआईसी को कार्रवाई करनी चाहिये। उसकी उपस्‍थिति तो उनके हस्‍ताक्षर से ही आती है। तभी वेतन निकलता होगा। इसमें सीएमओ क्‍या कर सकता है। डा. श्री प्रकाश का इतिहास भी काफी रोचक है। इनके विरुद्ध यही पर एक मुकदमा भी दर्ज हो चुका है। जिसमें बाद में एफआर लग गयी थी।

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