FARRUKHABAD : अभिव्यंजना साहित्यिक, सांस्कृतिक संस्था की तरफ से नुनहाई स्थित भारत भारती हिन्दी भवन में आयोजित 32वें वार्षिक सम्मान समारोह में पहुंचे कर्नाटक के पूर्व राज्यपाल एवं साहित्य अमृत के प्रधान सम्पादक त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी ने सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत देश की आत्मा हिन्दी में बसती है। क्योंकि हिन्दी सहज भाषा है। अंग्रेजी को घर की दासी बताते हुए कहा कि घर की दासी किसी भी कीमत पर मालकिन नहीं बन सकती। हिन्दी हमारी मातृ भाष है। हमें इस पर मनन, चिंतन के साथ इसको बोलने या लिखने में अपमान महसूस नहीं करना चाहिए।
कार्यक्रम का शुभारंभ श्री चतुर्वेदी ने भवन के अंदर स्थित सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया। तत्पश्चात स्कूली छात्राओं ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व राज्यपाल ने कहा कि भारत की आत्मा हिन्दी में प्रकट होती है। हिन्दी सहज भाषा है, जिसे राष्ट्रभाषा के रूप में मान्यता मिलनी चाहिए। अंग्रेजी के वर्चस्व से खतरा हो सकता है, लेकिन हिन्दी भाषा से कोई खतरा नहीं होना चाहिए। अपने आपको अंग्रेजी का विरोधी न होने का दावा करते हुए टी. एन. चतुर्वेदी ने कहा कि हमारे घर की मालकिन दासी नहीं बन सकती। उसके लिए आवश्यक दबाव के साथ हिन्दी को महत्व दिया जाना चाहिए। इस दौरान श्री चतुर्वेदी ने डा0 ब्रह्मदत्त अवस्थी को अभिव्यंजना श्री सम्मान से सम्मानित किया। इसके अलावा डा0 राजकुमार सिंह को राजश्री पुरुषोत्तमदास टन्डन सम्मान, आर्येन्द्र प्रताप सिंह को आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान, एडवोकेट जवाहर सिंह गंगवार को न्यायमूर्ति प्रेमशंकर गुप्ता सम्मान, हरिओमप्रकाश द्विवेदी को आचार्य वचनेश मिश्रा सम्मान, डा0 माहे तिलत सिद्दीकी को महीयशी महादेवी वर्मा सम्मान से सम्मानित किया।
संस्था प्रमुख डा0 रजनी सरीन ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से आपस में सद्भावना व प्रेम खत्म होता जा रहा है। एकता की डोर ढीली पड़ती जा रही है। उन्होंने हिन्दी भाषा की मजबूती के विषय में बताया कि अपने देश में भले ही लोग अंग्रेजी भाषा को बोलने में अपना सम्मान और गौरव समझते हों लेकिन विदेशों में बने विश्वविद्यालयों में हिन्दी अपने पैर पसार रही है। जहां ज्यादातर विश्वविद्यालयों में हिन्दी विभाग की स्थापना की गयी है। उन्होंने कहा कि लंदर एयरपोर्ट पर हिन्दी बोलने वाले लोगों को नौकरी करते हुए देखा। जब उनसे इस सम्बंध में पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्हें नौकरी ही इसी बजह से दी गयी है कि वह हिन्दी बोलना जानते हैं। श्रीमती सरीन ने कहा कि युवा हिन्दी बोलने में गर्व महसूस करें। उन्होंने बताया कि कन्नौज की भाषा का शब्दकोष अभिव्यंजना की तरफ से एकत्रित किया जायेगा। इसके अलावा ओमप्रकाश मिश्र कंचन, डा0 ब्रह्मदत्त अवस्थी, डा0 माधुरी दुबे आदि ने भी अपने विचार रखे।
[bannergarden id=”8″] [bannergarden id=”11″]
कार्यक्रम में डा0 माधुरी दुबे, ब्रजकिशोर सिंह किशोर, कैलाश कटियार, निमिष टन्डन, संजय गर्ग, राजेश हजेला, उपकार मणि, अतुल कपूर, रामकृष्ण राजपूत, कायमगंज पूर्व चेयरमैन मिथलेश अग्रवाल, विश्वनाथ मिश्रा, संजय मिश्रा, आशीष मिश्रा, भप्पू सोनी, आशा दुबे, अरुण प्रकाश तिवारी ददुआ, एडवोकेट लक्ष्मण सिंह, लक्ष्मीकांत मिश्रा, भाजपा जिलाध्यक्ष दिनेश कटियार, भाजपा नेता दिलीप भारद्धाज आदि लोग मौजूद रहे।