माया और मुलायम के दिल्‍ली के सपनों में साम्‍य और विरोधाभास

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उत्तर प्रदेश की पिछली और वर्तमान सरकारों में विचित्र समानता है। 2007 में मायावती की पूर्ण बहुमत से सरकार बनी थी, तब मायावती ने सपना देखा था कि दो साल बाद, 2009 के लोकसभा चुनाव में 50 से 60 सीटें जीतकर वे देश की पहली दलित प्रधानमंत्री बन जाएंगी। मायावती का सपना टूटने की शुरुआत तब हो गई थी जब उनके एक विधायक शेखर तिवारी पर पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर एमके गुप्ता की हत्या का आरोप लगा। इंजीनियर का दोष था कि उसने मायावती के जन्मदिन की तैयारी के लिए चंदा देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद से उत्तर प्रदेश की जनता का मायावती से मोहभंग होना शुरू हो गया था। 2009 के लोकसभा चुनावों में बहनजी 20 सीटों पर सिमट गईं और 2012 में उत्तर प्रदेश की सत्ता भी उनके हाथ से जाती रही। 2012 में अखिलेश यादव की पूर्ण बहुमत से सरकार बनी। विधानसभा चुनाव के बाद पूर्ण बहुमत से सपा सरकार बनने के बाद से मुलायम सिंह यादव भी प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं। साल भर के भीतर ही प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार के विवादित मंत्री राजा भैया पर भी राज्य के एक तेज-तर्रार युवा पुलिस अधिकारी जिया-उल-हक की हत्या का आरोप लगा गया है।

Maya-Mulayamबसपा और सपा सरकारों के बीच समानता की कड़ी यहीं पर आकर टूट जाती है। शेखर तिवारी को हत्या की घटना के बाद सीधे जेल में डाल दिया गया था, जबकि राजा भैया के मामले में सरकार ने अपने सिर कोई तोहमत लेने के बजाय मामला सीबीआई के सुपुर्द कर दिया है। उदाहरण और भी हैं -गोंडा के विधायक विनोद सिंह उर्फ पंडित सिंह सरकार में राजस्व राज्य मंत्री थे। गोंडा में एनआरएचएम योजना के तहत डॉक्टरों की अस्थायी नियुक्तियां होनी थीं। उन्होंने गोंडा के सीएमओ एसपी सिंह  पर  अपने कुछ लोगों को सूची में डालने का दबाव डाला। सीएमओ ने उनकी बात मानने से इनकार कर दिया। विनोद सिंह को यह बात नागवार गुजरी। उन्होंने बाकायदा सीएमओ का अपहरण करके उनसे अस्थायी डॉक्टरों की नई सूची बनवाई जिसमें उनके अपने चेले शामिल थे। मामला विवादों में आ गया। मजबूरन विनोद सिंह को मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन तीन महीने के भीतर नए मंत्रिमंडल विस्तार में विनोद सिंह को फिर से मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया। अब वे माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री हैं।

प्रदेश की विभिन्न जेलों में बंद माफिया खुलेआम घूम रहे हैं और अपना दरबार लगा रहे हैं। सपा नेता अमरमणि त्रिपाठी आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। उन्हें कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के मामले में यह सजा हुई है। जिस दिन प्रदेश में सपा की सरकार बनी उसके बाद से ही अमरमणि त्रिपाठी हर दिन मेडिकल चेकअप के बहाने गोरखपुर स्थित बीआरडी मेडिकल कॉलेज जाकर अपना दरबार लगाने लगे। अमरमणि का मामला अकेला नहीं है। फैजाबाद की जेल में बंद माफिया डॉन अभय सिंह भी यही करते पाए गए। वे तो जेल के अंदर ही अपना दरबार चला रहे थे। 24 मई, 2012 को सरकार ने उनके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में दर्ज मामला वापस लेने की पहल कर दी थी। अभय सिंह पर पूर्वांचल के विभिन्न जिलों में दर्ज 18 आपराधिक मामलों में से अकेला यही ऐसा था जो गैरजमानती था। इसके हटने के बाद अभय सिंह की जेल से रिहाई का रास्ता खुल जाना था। अभय सिंह की तर्ज पर तमाम और अपराधी किस्म के नेताओं के मामले वापस लिए जाने की पहल अखिलेश सरकार की तरफ से हुई।

गन्ना शोध संस्थान के अध्यक्ष केसी पांडे वीडियो में एसएसपी राणा को घूस की पेशकश करते पाए गए। सरकार ने पांडे पर कार्रवाई करने के बजाय राणा को ही पुलिस मुख्यालय से अटैच कर दिया। गोंडा के एसएसपी नवनीत राणा ने पशुओं की तस्करी कर रहे कुछ ट्रक पकड़ लिए थे। इन ट्रकों और पशुओं को छुड़ाने के लिए उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान के अध्यक्ष केसी पांडे ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा है। वे नवनीत राणा को घूस देने से लेकर धमकाने तक सारे हथकंडे अपना रहे थे। नवनीत राणा ने यह बात अपने वरिष्ठ अधिकारियों को बताई। राणा के मुताबिक उन्होंने अधिकारियों के कहने पर इस पूरी घटना का स्टिंग ऑपरेशन कर दिया। केसी पांडे वीडियो में राणा को घूस की पेशकश करते हुए पकड़े गए। घटना मीडिया में उछल गई। लोगों ने राज्यमंत्री को बेशर्मी से घूस देने की पेशकश करते और धमकी देते देखा। जवाब में अखिलेश सरकार ने आला दर्जे की बेशर्मी दिखाई। उन्होंने रंगे हाथ पकड़े गए केसी पांडे पर कार्रवाई करने के बजाय नवनीत राणा को एसएसपी पद से हटाकर पुलिस मुख्यालय से अटैच कर दिया। एक प्रमोटी आईपीएस अधिकारी अजय मोहन शर्मा ने रामगोपाल यादव के एटा आने पर न केवल सबके सामने पैर छुए बल्कि उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया। मायावती की सैंडिल साफ करने की भी तसवीरें अखबारों में छप चुकी हैं।