बीएसए कार्यालय में ही रची गयी थी आरटीआई एक्टिविस्ट आनंद की हत्या की साजिश

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shashi ojhaFARRUKHABAD : आरटीआई एक्टिविस्ट एवं शिक्षक आनंद प्रकाश राजपूत की हत्या  घटना के षडयंत्र में शामिल शिक्षा मित्र के इकबाल-ए-जुर्म के बाद मामला अब सुलझता दिखायी दे रहा है। घटना की तफतीश से जुड़े पुलिस सूत्रों की मानें तो आनंद हत्याकाण्ड की पूरी साजिश जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में ही रची गयी थी, जिसमें फर्जी शिक्षकों का एक गिरोह सम्‍मिलित था। उल्‍लेखनीय है कि घटना में बीएसए कार्यालय  के दो लिपिकों को भी एफआईआर में नामजद किया गया था। फिलहाल पुलिस ने हत्याकाण्ड के साजिश की आरोपी शशि ओझा को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।

विदित है कि बीते 7 फरवरी को मोहम्मदाबाद क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय रामनगर कुड़रिया में तैनात रहे शिक्षक आनंद प्रकाश राजपूत की हत्या कर दी गयी थी। हत्या के मामले में आनंद प्रकाश राजपूत के भाई सुनील कुमार ने शक के आधार पर राजनरायन शाक्य, नरेन्द्र पाल सिंह, श्रवण कुमार, राधेश्याम शाक्य, कांती राठौर, कौशलेन्द्र सिंह, शशी ओझा, विनीत अग्निहोत्री, विजय भारद्धाज, विजय बहादुर यादव, जय सिंह, मनोज वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी थी। बीते डेढ़ माह में पुलिस तफ्तीश में फर्जी शिक्षकों के द्वारा ही आनंद हत्याकाण्ड की साजिश रचने का मामला सामने आ रहा है।

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बुधवार को पुलिस ने शिक्षा मित्र शशि ओझा को गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस सूत्रों की मानें तो लंबी पूछतांछ के बाद आखिर शिक्षा मित्र शशि ओझा ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया है। तफतीश से जुड़े पुलिस सूत्रो के अनुसार आनंद हत्याकाण्ड की पूरी साजिश जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में ही रची गयी थी। घटना में फर्जी प्रमाण-पत्रों से नियुक्‍त शिक्षकों का एक पूरा गिरोह इसमें सम्‍मिलित है जो बीएसए कार्यालय के लिपिकों व अधिकारियों की मिलीभगत से हर माह मोटा वेतन उड़ा रहे हैं व इसमें विभागी कर्मचारियो-अधिकारियों को भी हिस्‍सा दे रहे हैं। उल्‍लेखनीय है कि आनंद प्रकाश सिंह विभिन्‍न आरटीआई आवेदनों के माध्‍यम से इन फर्जी शिक्षकों की नौकरी पर बन आयी थी। कई को सेवा से बर्खास्‍त किया जा चुका है, कई पर लाखों की वसूली की तलवार लटक रही है। परंतु इस गिरोह से सांठगांठ रखने वाले विभागीय लिपिकों व अधिकारियों की मिलीभगत के चलते इनमें से काफी अभी तक बचते चले आ रहे हैं। उल्‍लेखनीय है कि आनंद के भाई द्वारा विभाग के दो लिपिकों को भी एफआईआर में भी आरोपी बनाया गया था। पुलिस ने डेढ़ माह की जद्दोजहद में मामले की पूरी जांच तो कर ली। लेकिन राजनैतिक दबाव के चक्कर में पुलिस ने घटना का आज तक खुलासा नहीं किया। बीते दिन मीडिया द्वारा आई जी के सामने आनंद हत्याकाण्ड की बात को ज्यादा उछाले जाने पर पुलिस दोबारा हरकत में आ गयी है। फिलहाल पुलिस आरोपियों की तलाश में दबिशें दे रही है।