किसी की हत्या पर 50 लाख तो किसी को ठेंगा: हाई कोर्ट ने UP सरकार से पूछा- कैसे?

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court hemmarउत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हत्या के मामलों में मनमाने ढंग से अलग-अलग प्रकार से मुआवजा दिये जाने के सम्बन्ध में सामाजिक कार्यकर्त्ता डॉ. नूतन ठाकुर द्वारा दायर जनहित याचिका में इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच ने सरकार से दो सप्ताह में अपनी नीति स्पष्ट करने के आदेश दिये हैं| जस्टिस उमानाथ सिंह और जस्टिस डॉ. सतीश चंद्र की बेंच ने यह आदेश आज याची के अधिवक्ता अशोक पाण्डेय और अपर महाधिवक्ता बुलबुल गोदियाल की बहस सुनने के बाद दिया|

याचिका में ठाकुर ने निवेदन किया गया है कि जहाँ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रतापगढ़ हत्याकांड के बाद पचास लाख और बीस-बीस लाख रुपये का मुआवजा तत्काल दिया वहीँ इस दौरान मारे गए तमाम लोगों को किसी भी प्रकार का मुआवजा नहीं दिया गया| इनमें टांडा के विहिप नेता रामबाबू गुप्ता सहित कई लोग हैं| याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश शासन का यह कार्य समानता के अधिकार के विपरीत है और उसे बिना किसी ठोस आधार के हत्‍या के विभिन्न मामलों में भेदभाव करने का अधिकार नहीं है|

अतः यह प्रार्थना की गयी है कि उत्तर प्रदेश सरकार हत्या के मामलों में शासकीय कर्मियों और अन्य लोगों के लिए हत्या के बाद मुआवजा के सम्बन्ध में एक स्पष्ट नीति बनाए| साथ ही इस दौरान हुई सभी हत्या के मामलों में उतनी ही धनराशि का मुवावजा प्रदान किया जाये जैसा प्रतापगढ़ कांड में किया गया है|