Saturday, January 11, 2025
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बंद होगी ‘पढ़ें बेटियां, बढ़े बेटियां’ योजना

Akhilesh Mulayam cartoonलखनऊ : अखिलेश सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में गरीब तबके की बेटियों के लिए ‘पढ़े बेटियां, बढ़ें बेटियां’ नामक जिस योजना की शुरुआत की थी, उसे अगले वित्तीय वर्ष में बंद करने का फैसला किया है। इस योजना के तहत सूबे में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों की हाईस्कूल उत्तीर्ण छात्राओं को आगे की पढ़ाई के लिए 30,000 रुपये एकमुश्त दिये जाने की व्यवस्था है। शासन में शीर्ष स्तर पर यह फैसला होने पर अगले वित्तीय वर्ष में योजना के लिए कोई धनराशि नहीं आवंटित नहीं की गई है।

माध्यमिक शिक्षा विभाग ने बीती 18 अक्टूबर को यह योजना शुरू की थी। फिलहाल इस योजना का लाभ हाईस्कूल उत्तीर्ण करने वाली उन्हीं छात्राओं को देने का फैसला किया गया था जिनके परिवार ग्राम्य विकास विभाग से जारी बीपीएल परिवारों की सूची में शामिल हैं या जिनके पास खाद्य विभाग का बीपीएल अंत्योदय राशन कार्ड है। चालू वित्तीय वर्ष में योजना के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किये गए थे। इस धनराशि से सूबे की 29,918 छात्राओं को देने का लक्ष्य तय किया गया था। इस लक्ष्य के सापेक्ष अब तक लगभग पांच हजार छात्राओं को योजना का लाभ दिया जा चुका है। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने वित्तीय वर्ष 2013-14 में भी योजना के लिए 100 करोड़ रुपये का बजट प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा था लेकिन मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति ने अगले साल के लिए योजना को अनुमोदित करने से मना कर दिया।

-मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति का फैसला

-अगले वित्तीय वर्ष में योजना के लिए कोई धनराशि आवंटित नहीं

सूत्रों के मुताबिक, उच्च स्तरीय समिति का तर्क था कि इंटरमीडिएट उत्तीर्ण बालिकाओं को आगे की शिक्षा हासिल करने में आर्थिक मदद के लिए सरकार ‘कन्या विद्या धन’ योजना चला रही है। समिति का मानना है कि कन्या विद्या धन योजना के लागू रहते हाईस्कूल पास लड़कियों को आगे की पढ़ाई के लिए अलग से योजना लागू करने का कोई औचित्य नहीं है। हालांकि सरकार अल्पसंख्यक वर्ग की हाईस्कूल उत्तीर्ण लड़कियों को आगे की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ‘हमारी बेटी, उसका कल’ योजना संचालित कर रही है। इस पर उच्च स्तरीय समिति का तर्क था कि यदि अल्पसंख्यक वर्ग की हाईस्कूल उत्तीर्ण बेटियों के लिए एक योजना चलायी गई है तो यह जरूरी नहीं कि गैर अल्पसंख्यक वर्ग के लिए भी ऐसी कोई योजना संचालित ही की जाए।

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