Saturday, January 11, 2025
spot_img
HomeUncategorizedपंचायत चुनाव से पहले मिड डे मील खातों का आडिट?

पंचायत चुनाव से पहले मिड डे मील खातों का आडिट?

प्रशासन के हाथ में पंचायत खातों की गर्दन–
उत्तर प्रदेश के कई जनपदों में प्रधानो ने नौनिहालों को मिलने वाले निशुल्क मिड डे मील योजना की परिवर्तन लागत और खाद्यान का हिसाब वर्ष 2004 से अब तक नहीं दिया है| दो साल पहले केंद्रीय अनुरक्षण टीम द्वारा खुलासे किये जाने के बाद केंद्र ने राज्य सरकार पर हिसाब देने का शिकंजा कसा| उसके बाद उत्तर प्रदेश में प्रधानो से सैकड़ो बार ये हिसाब माँगा गया मगर आज तक प्रदेश सरकर को ये हिसाब नहीं मिला है| अब जबकि पंचायतो के चुनाव सर पर आ गए हैं प्रधानो पर शिकंजा कसने का मौका न गवांते हुए जनपद स्तर पर जिला लेखा एवं सम्परीक्षा अधिकारी (पंचायत एवं सोसाइटी) द्वारा मिड डे मील के खातों का आडिट कराया जा रहा है|

मिड डे मील के लिए जेब से रकम लगा दी प्रधानो ने

जनपद फर्रुखाबाद में ही बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के दस्ताबेजों के अनुसार लगभग खाद्यान और परिवर्तन लागत का 4 करोड़ का माल प्रधानो के पास मिड डे मील का होना चाहिए| वर्ष 2004 से 2009 तक शिक्षा विभाग के अनुसार मोहम्दाबाद के विभिन्न प्रधानो के पास अभी परिवर्तन लागत का 88 लाख रुपया परिवर्तन लागत का है, मगर चौकाने वाली बात यह है कि अकेले मोहम्दाबाद के प्रधानो ने ही उलटे सरकार पर ही इन वर्षो ने 9 लाख रुपया निकल दिया है| प्रधानो के मुताबिक उन्होंने अपनी जेब से 9 लाख रुपये लगाकर बच्चो को मिड डे मील खिला दिया|

बेमेल है शिक्षा विभाग और प्रधानो का खाता

इतना ही नहीं इन वर्षो में जो धनराशी इस ब्लाक में प्रधानो को भेजी गयी वो भी शिक्षा विभाग से मेल नहीं खाती| मोहम्दाबाद ब्लाक के प्रधानो के अनुसार उन्हें इन वर्षो में 3.90 करोड़ की धनराशी ही दी गयी जबकि शिक्षा विभाग के आंकड़ो के मुताबिक यह धनराशी लगभग 4.02 करोड़ है|

हिसाब दोनों जगह नहीं है

सूत्रोंके अनुसार असल बात तो यह है की न तो सही हिसाब शिक्षा विभाग के पास है और न ही प्रधानो के पास| ग्राम पंचायत सचिव भी भ्रष्टाचार के हिस्से की मलाई में हिस्सा पाते रहे और पैसे का आहरण होता रहा| शिक्षा विभाग का तो ये आलम है कि इनकी तो हर साल मिड डे मील के खातों की ओपनिंग और क्लोसिंग खाता ही गड़बड़ा जाता है और उसे कई बार में चूल से चूल मिलाकर लेखा का हिसाब बैठाया जाता है|

कहीं प्रधानो को काबू में रखने के लिए ये जाल जैसा तो नहीं?

अब जबकि पंचायत के चुनाव सर पर हैं, इन खातो की जाँच जिला लेखा एवं सम्परीक्षा अधिकारी (पंचायत एवं सोसाइटी) को सौपी जा रही है| अगर फस गए तो प्रधानो को चलते चलते ही सही कुछ दंड मिलने की सम्भावना बनती नजर आती है| लगभग 90 प्रतिशत प्रधानो के पास खाद्यान और परिवर्तन लागत के खर्च का कोई हिसाब नहीं है| जल्दबाजी में ये लेखा जोखा बैठाये गए है| जाहिर है ऐसी सथियों में ज्यादातर प्रधान मिड डे मील के खाद्यान और परिवर्तन लागत हडपने के घोटाले में फसेंगे| जन फसेंगे तो कारवाही भी होगी या फिर फसे हुए प्रधान सत्ता की बोली बोलने के लिए प्रशासन द्वारा मजबूर किये जायेंगे ये संदेहस्पद भाविश्यकालिक प्रश्न है|उत्तर प्रदेश में जैसा कि पहले भी सत्तादल प्रशासन के दिमाग का उपयोग अपने राजनैतिक नफा नुकसान के लिए करता रहा है उसी की तयारी के लिए ये कामयाब जाल भी हो सकता है|

इस मामले में कोई भी प्रशासनिक अफसर अपना मुह खोलने को तैयार नहीं है|

इस खबर पर आपकी क्या राय है जरूर लिखें-

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments