Sunday, December 29, 2024
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तहसील दिवस: हाकिम खुद ही डाल रहे गरीब की फरियाद पर डाका

admtahseel diwasTAHSIL DIVASTAHSIL DIVAS2 फर्रुखाबाद: आम आदमी की शिकायतों के त्‍वरित निस्‍तारण के लिये शासन स्‍तर पर शुरू की गयी तहसील दिवस व्‍यवस्‍था की प्रशासनिक अधिकारी ही हवा निकालने में लगे हैं। चूंकि तहसील दिवस पर आने वाली शिकायतों को इंटरनेट पर चढाने और उनके निस्‍तारण की पारदर्शी व्‍यवस्‍था है, इस लिये अधिकारी तहसील दिवस पर आने वाली शिकायतों को पंजीकृत करने से ही कतरा रहे हैं। जब पंजीकरण ही नहीं होगा तो न निस्‍तारण और न ही उसका ऑनलाइन पर्यवेक्षण। पंजीकरण से बचने के लिये तहसील दिवसों पर अधिकारियों के मुंहलगे अहलकार आने वाले फरियादियों की शिकायत दर्ज कराये बगैर ही प्रार्थनापत्र को सीधे प्रस्‍तुत कर देते हैं, और गरीब आश्‍वासन की कोरी घुट्टी पी कर निहाल हो जाता है। अधिकारियों की इस कारस्‍तानी का सुबूत तहसील दिवसों पर आने वाली शिकायतों की संख्‍या से स्‍पष्‍ट रूप से लगाया जा सकता है, क्‍योंकि जिलाधिकारी की अध्‍यक्षता वाले तहसील दिवस को छोड़कर शेष दिनों में फरियादों का टोटा साफ नजर आ जाता है। परंतु इस ओर जिलाधिकारी या अन्‍य उच्‍चाधिकारी क्‍यों नहीं देखते यही भी अपने आप में आश्‍चर्य की बात है। कहा जा सकता है कि हाकिम खुद ही गरीब की फरियाद पर डाका डाल रहे हैं, तो फरियादी शिकायत किससे करे।

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सदर तहसील की शिकायतों पर अगर अपनी नजर डालें तो 17 जुलाई 2012 से 5 फरवरी 2013 तक कुल 14 सप्ताह में 1048 शिकायतें दर्ज की गयीं और अनगिनत फरियादी प्रार्थनापत्र देकर चले गये जिनको आज तक निस्तारण नहीं दिया गया। गंभीरता से अगर विचार करें तो ज्यादातर तहसील दिवसों में जब जिलाधिकारी मौजूद होते हैं तो शिकायतों की संख्या बढ़ जाती है। जैसे कि १७ जुलाई 2012 को 137 चार सितम्बर 2012 को 223, 17 जनवरी 2012 को 110, 4 दिसम्बर 2012 को 191 शिकायतें दर्ज की गयीं। वहीं कुछ तहसील दिवस एसे गुजरे जिनमें 3 अगस्त को 14 शिकायतें ही दर्ज हो सकीं। इससे इस बात पर तो प्रश्नचिन्ह लगता ही है कि जब जनपद के आला अधिकारी डीएम तहसील दिवस में मौजूद होते हैं तो फरियादियों व दर्ज शिकायतों की संख्या अनायास ही बढ़ जाती है। अन्य दिनों में यह संख्या दो दर्जन तक ही पहुंच पाती है।

यह कोई आज की बात नहीं, जब तहसील दिवस में बगैर शिकायत दर्ज किये फरियादी का प्रार्थनापत्र ले लिया जाता है और उस पर आदेश भी होते हैं लेकिन कार्यवाही कुछ नहीं होती। क्योंकि फरियादी के पास इसका कोई प्रमाण नहीं होता कि उसने कोई शिकायत दर्ज करायी थी और तहसीलकर्मी अपनी बाजीगरी में कामयाब हो जाते हैं। दूसरा लाभ उन्हें यह होता है कि प्रशासनिक अधिकारियों को यह दिखाया जाता है कि शिकायतें कम आयीं और प्रशासनिक अधिकारी भी बगैर ध्यान दिये प्रार्थनापत्रों पर तहसील दिवस की मोहर के बगैर ही आदेश कर देते हैं। मंगलवार को हुए तहसील दिवस में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला। अधिकांश शिकायतें बगैर दर्ज कराये ही अधिकारियों ने प्रार्थनापत्रों पर हस्ताक्षर करके आगे बढ़ा दीं। लेकिन फरियादियों को यह नहीं मालूम कि पहले से ही कितनी शिकायतें अभी इंसाफ के इंतजार में फाइलों में दफन हैं। जिन पर वकायदा शिकायत संख्या भी अंकित की गयी है। मंगलवार को हुए तहसील दिवस में तहसीलदार राजेन्द्र चौधरी, एडीएम कमलेश कुमार आदि अधिकारी मौजूद रहे।

 

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