फर्रुखाबाद: प्रदेश में 72 हजार से अधिक टीईटी पास बेसिक शिक्षकों की भर्ती के सम्बंध में मुख्य सचिव की ओर से दाखिल रिपोर्ट से हाईकोर्ट संतुष्ट नहीं है। रिपोर्ट से असंतुष्ट उच्च न्यायालय ने सरकार से 20 फरवरी तक पूरक शपथपत्र दाखिल करने को कहा है। मुख्य सचिव की रिपोर्ट ने कई अनसुलझे सवाल छोड़ दिये हैं।
विदित है कि 7 दिसम्बर को शासन की ओर से 72 हजार शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। जिसके सापेक्ष लगभग 69 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किये। आवेदनों के क्रम में 22 जनवरी को कट आफ मैरिज भी जारी कर दी गयी। लेकिन 4 फरवरी को जैसे ही शिक्षक भर्ती के लिए काउंसलिंग शुरू की गयी तो हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी। विगत 12 फरवरी को शासन के मुख्य सचिव की ओर से जबाब दाखिल किया गया था परन्तु शिक्षक भर्ती मामले में हाईकोर्ट में दाखिल मुख्य सचिव की रिपोर्ट ने कई अनसुलझे सवाल छोड़ दिये हैं। रिपोर्ट से असंतुष्ट उच्च न्यायालय ने सरकार से 20 फरवरी तक पूरक शपथपत्र मांग लिया है।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि टीईटी का रिजल्ट तैयार करने वाली कम्प्यूटर फर्म के कार्यालय से 3493 ओएमआर शीट की कार्बन कापी पकड़ी गयीं थीं। लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया कि यह कार्बन कापी बोर्ड की प्रतियां थीं या अभ्यर्थियों की। क्योंकि परीक्षा के बाद मूल ओएमआर शीट रिजल्ट तैयार करने के लिए भेजी गयीं थीं। दूसरी प्रति यूपी बोर्ड के लिए भेजी गयी थी और तीसरी कापी अभ्यर्थियों को वापस दे दी गयी थी। कंपनी के दफ्तर से जो कार्बन कापी मिली है, उस पर बारकोड भी नहीं था। इससे उसकी जांच होना संभव नहीं था। सवाल यह उठता है कि कम्प्यूटर फर्म के पास मिली ओएमआर शीट की कार्बन कापी अभ्यर्थी की प्रति थी या बोर्ड की। सवाल यह भी है कि बारकोड के बिना क्या स्कैनर ओएमआर कार्बन कापी को जांच सकता है या नहीं। और जो कार्बन कापी पकड़ी गयी क्या उसका मिलान मूल कापी से किया गया। परीक्षा के लिए पेपर और ओएमआर शीट लाने ले जाने में हुई गड़बड़ी का रिजल्ट पर कैसे और कितना प्रभाव पड़ा। जाहिर इन सवालों के जबाब सरकार के पूरक शपथपत्र से ही मिल पाने की संभावना है।
शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन करने वाले टीईटी पास लाखों अभ्यर्थियों की निगाहें अब सरकार के पूरक शपथपत्र पर लगीं हैं।